झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: पहले चरण की 13 सीटों पर गठबंधन का पलड़ा भारी!

- …काम नहीं आयेगा भाजपा का भारी-भरकम प्रचार तंत्र
इनसाईट ऑनलाइन न्यूज ने झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 के आकलन और संभावनाओं के भाग-04 में बताया था कि झारखंड में भाजपा और कांग्रेस-जेएमएम -राजद गठबंधन लगभग सभी सीटों पर आमने-सामने हैं। यही स्थिति अभी पहले चरण की 13 सीटों पर भी लगभग बनती दिखाई दे रही है।
पहले चरण की 13 सीटों पर चुनाव के लिए प्रत्याशियों का प्रचार 28 नवंबर को थम जायेगा और मतदाता 30 नवंबर को अपने- अपने मत डालेंगे। जिन 13 सीटों पर पहले चरण का चुनाव है उन क्षेत्रों को संवेदनशील माना जाता है और उनमें चतरा, गुमला, बिशुनपुर, लोहरदगा, लातेहार, मनिका, पांकी, डालटनगंज, विश्रामपुर, छतरपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा और भावनाथपुर शामिल हैं।
13 सीटों में 06 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला है और बाकी सीटों पर गठबंधन और भाजपा में सीधी टक्कर है। जिन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला है उन सीटों पर मतदाता पूर्णतः जागरूक और सतर्क हैं कि उनके मत कहीं बेकार न चले जायें। बदली हुई परिस्थिति में उन सीटों पर भी लगभग गठबंधन और भाजपा के बीच में सीधा मुकाबला होने की संभावना बनती नजर आ रही है।
भाजपा ने इन 13 सीटों के चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। लगभग सभी सीटों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ-साथ भाजपा के अनेक दिग्गज नेता जैसे-योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह, जेपी नडडा आदि चुनाव सभा कर लौट चुके हैं।
तमाम भाजपा नेताओं ने अपने संबोधन में झामुमो-कांग्रेस और राजद गठबंधन पर सीधा प्रहार कर जागरूक मतदाताओं के लिए एक दिशा-निर्देश स्थापित किया है जिससे लड़ाई रोचक होने के साथ भाजपा-गठबंधन के बीच सीधी हो गई है।
इस बीच भाजपा के खिलाफ जो मतदाता हैं वह गठबंधन के पक्ष में गोलबंद होते नजर आ रहे हैं। अनुमान है कि चुनाव में ऐसे मतदाता अपने मतों का इस्तेमाल करने में भारी सावधानी बरतेंगे तथा वोटकटवा प्रत्याशी और वोटकटवा दलों से परहेज करेंगे। चुनाव क्षेत्रों में सक्रिय और निरंतर आकलन कर रहे हमारे संवाद सूत्रों की जानकारी के अनुसार मतदाताओं का रूझान भाजपा एवं झामुमो नीत गठबंधन के प्रति ही दिखाई दे रहा है। अन्य दलों की चर्चा ’गौण’ होती जा रही है।
यदि 2019 और 2014 के वोट प्रतिशत का विस्तार से मूल्यांकन किया जाये तो स्पष्ट होता है कि वर्तमान की बदली हुई परिस्थिति में यदि गठबंधन अपने पक्ष में भाजपा विरोधी मतों को गोलबंद कर पाया तो निश्चित रूप से गठबंधन का पलड़ा भारी रहेगा। भाजपा के धुंआधार प्रचार एवं भाजपा के धन-बल को भी मतदाता ध्वस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
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