कोविड-19: ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन पर WHO और योरोपीय एजेंसी की बैठक
ऑक्सफ़र्ड-ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन से जुड़ी चिन्ताओं और अनेक देशों द्वारा इसका इस्तेमाल रोके जाने के बाद. इस सप्ताह, संयुक्त राष्ट्र और योरोपीय संघ के स्वास्थ्य अधिकारियों की बैठक होनी तय हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोमवार को प्रैस वार्ता के दौरान इस आशय की जानकारी दी है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने पत्रकारों को बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाहकार समिति, वैक्सीन सुरक्षा से जुड़े आँकड़ों की समीक्षा कर रही है और मंगलवार को योरोपीय मेडिसिन एजेंसी के साथ उसकी बैठक होनी है.
Media briefing on #COVID19 with @DrTedros https://t.co/0VyQeBg7Tv— World Health Organization (WHO) (@WHO) March 15, 2021
जर्मनी, फ्राँस, इटली और स्पेन भी अब अस्थाई तौर पर इस वैक्सीन का इस्तेमाल रोकने वाले देशों की फ़ेहरिस्त में शामिल हो गए हैं.
बताया गया है कि योरोप में तैयार होने वाली इस वैक्सीन की खेप को इस्तेमाल में लाए जाने के बाद लोगों में रक्त के थक्के जमने की रिपोर्टें मिली हैं.
यूएन एजेंसी के महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा, “इसका यह अर्थ निकालना ज़रूरी नहीं है कि ये घटनाएँ टीकाकरण से जुड़ी हैं. लेकिन इन मामलों की जाँच एक नियमित प्रक्रिया है और यह दर्शाता है कि निगरानी प्रणाली कार्य करती है और नियन्त्रण के असरदार उपाय लागू हैं.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन, योरोप और अन्य क्षेत्रों में राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ नज़दीकी सम्पर्क बनाए हुए है और ऐस्ट्राज़ेनेका व अन्य वैक्सीनों के दुष्प्रभावों की समीक्षा की जा रही है.
यूएन एजेंसी के अनुसार, टीका लगवाने लोगो में रक्त के थक्कों के जमने के बारे में सूचना, दुनिया के अन्य हिस्सों से नहीं मिली है.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने ज़ोर देकर कहा कि इस समय देशों के समक्ष सबसे बड़ा ख़तरा, वैक्सीन सुलभता का अभाव है.
उन्होंने बताया कि लगभग हर दिन, विश्व भर से नेता उन्हें फ़ोन कर पूछते हैं कि कोवैक्स पहल के तहत, उनके देशों को वैक्सीन कब उपलब्ध होगी.
टीकाकरण ‘पासपोर्ट’ को मनाही
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि वो तथाकथित कोविड-19 टीकाकरण पासपोर्ट के पक्ष में नहीं है.
हालांकि एजेंसी ने स्वास्थ्य सूचना के डिजिटलीकरण का समर्थन किया है और इसे बेहतर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का सम्भावित मार्ग क़रार दिया है.
अनेक देश टीकाकरण के लिये काग़ज़ी दस्तावेज़ मुहैया कराते हैं, जैसेकि बच्चों के नियमित टीकाकरण को दर्शाने के लिये. लेकिन इनके खोने, ख़राब होने या क्षतिग्रस्त होने का ख़तरा रहता है.
डिजिटलीकरण के ज़रिये इस ्हम सूचना की रक्षा की जा सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर माइकल रायन ने बताया कि कोविड-19 वैक्सीन का ई-प्रमाणन (certification), सरकारों के लिये, टीकाकरण के लिये पंजीकरण का प्रबन्धन करने में उपयोगी साबित होगा.
साथ ही, इससे वैक्सीन की खेपों और कवरेज की बेहतर निगरानी को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा.
मगर, डॉक्टर रायन ने टीकाकरण के डिजिटल प्रमाणीकरण का इस्तेमाल, किसी व्यक्ति को यात्रा की अनुमति देने या युनिवर्सिटी में दाख़िले के लिये किये जाने के प्रति आगाह किया है.
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि यूएन एजेंसी की आपात समिति ने अपनी सिफ़ारिशों में स्पष्ट किया है कि अन्तरराष्ट्रीय यात्रा के लिये वैक्सीन-प्रमाणपत्र जायज़ नहीं है.
उन्होंने बताया कि फ़िलहाल वैक्सीन ना तो व्यापक तौर पर उपलब्ध हैं और ना ही उन्हें न्यायसंगत ढँग से वितरित किया जा रहा है.
यह मुख्यत: इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस देश में रहते हैं और वैश्विक बाज़ारों में आपकी या आपकी सरकार की सम्पदा या प्रभाव का स्तर कितना है., ऑक्सफ़र्ड-ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन से जुड़ी चिन्ताओं और अनेक देशों द्वारा इसका इस्तेमाल रोके जाने के बाद. इस सप्ताह, संयुक्त राष्ट्र और योरोपीय संघ के स्वास्थ्य अधिकारियों की बैठक होनी तय हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोमवार को प्रैस वार्ता के दौरान इस आशय की जानकारी दी है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने पत्रकारों को बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाहकार समिति, वैक्सीन सुरक्षा से जुड़े आँकड़ों की समीक्षा कर रही है और मंगलवार को योरोपीय मेडिसिन एजेंसी के साथ उसकी बैठक होनी है.
जर्मनी, फ्राँस, इटली और स्पेन भी अब अस्थाई तौर पर इस वैक्सीन का इस्तेमाल रोकने वाले देशों की फ़ेहरिस्त में शामिल हो गए हैं.
बताया गया है कि योरोप में तैयार होने वाली इस वैक्सीन की खेप को इस्तेमाल में लाए जाने के बाद लोगों में रक्त के थक्के जमने की रिपोर्टें मिली हैं.
यूएन एजेंसी के महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा, “इसका यह अर्थ निकालना ज़रूरी नहीं है कि ये घटनाएँ टीकाकरण से जुड़ी हैं. लेकिन इन मामलों की जाँच एक नियमित प्रक्रिया है और यह दर्शाता है कि निगरानी प्रणाली कार्य करती है और नियन्त्रण के असरदार उपाय लागू हैं.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन, योरोप और अन्य क्षेत्रों में राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ नज़दीकी सम्पर्क बनाए हुए है और ऐस्ट्राज़ेनेका व अन्य वैक्सीनों के दुष्प्रभावों की समीक्षा की जा रही है.
यूएन एजेंसी के अनुसार, टीका लगवाने लोगो में रक्त के थक्कों के जमने के बारे में सूचना, दुनिया के अन्य हिस्सों से नहीं मिली है.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने ज़ोर देकर कहा कि इस समय देशों के समक्ष सबसे बड़ा ख़तरा, वैक्सीन सुलभता का अभाव है.
उन्होंने बताया कि लगभग हर दिन, विश्व भर से नेता उन्हें फ़ोन कर पूछते हैं कि कोवैक्स पहल के तहत, उनके देशों को वैक्सीन कब उपलब्ध होगी.
टीकाकरण ‘पासपोर्ट’ को मनाही
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि वो तथाकथित कोविड-19 टीकाकरण पासपोर्ट के पक्ष में नहीं है.
हालांकि एजेंसी ने स्वास्थ्य सूचना के डिजिटलीकरण का समर्थन किया है और इसे बेहतर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का सम्भावित मार्ग क़रार दिया है.
अनेक देश टीकाकरण के लिये काग़ज़ी दस्तावेज़ मुहैया कराते हैं, जैसेकि बच्चों के नियमित टीकाकरण को दर्शाने के लिये. लेकिन इनके खोने, ख़राब होने या क्षतिग्रस्त होने का ख़तरा रहता है.
डिजिटलीकरण के ज़रिये इस ्हम सूचना की रक्षा की जा सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर माइकल रायन ने बताया कि कोविड-19 वैक्सीन का ई-प्रमाणन (certification), सरकारों के लिये, टीकाकरण के लिये पंजीकरण का प्रबन्धन करने में उपयोगी साबित होगा.
साथ ही, इससे वैक्सीन की खेपों और कवरेज की बेहतर निगरानी को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा.
मगर, डॉक्टर रायन ने टीकाकरण के डिजिटल प्रमाणीकरण का इस्तेमाल, किसी व्यक्ति को यात्रा की अनुमति देने या युनिवर्सिटी में दाख़िले के लिये किये जाने के प्रति आगाह किया है.
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि यूएन एजेंसी की आपात समिति ने अपनी सिफ़ारिशों में स्पष्ट किया है कि अन्तरराष्ट्रीय यात्रा के लिये वैक्सीन-प्रमाणपत्र जायज़ नहीं है.
उन्होंने बताया कि फ़िलहाल वैक्सीन ना तो व्यापक तौर पर उपलब्ध हैं और ना ही उन्हें न्यायसंगत ढँग से वितरित किया जा रहा है.
यह मुख्यत: इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस देश में रहते हैं और वैश्विक बाज़ारों में आपकी या आपकी सरकार की सम्पदा या प्रभाव का स्तर कितना है.
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