जलवायु परिवर्तन के लिए भारत जिम्मेवार नहीं : जावड़ेकर

नयी दिल्ली 22 नवंबर : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा में शुक्रवार को दो टूक शब्दों में कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए भारत जिम्मेवार नहीं है, लेकिन इसके बावजूद हमने इससे निपटने के लिए स्वयं पहल करते हुये कई कदम उठाये हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बीजिंग की तुलना में दिल्ली को काफी कम समय में प्रदूषण मुक्त किया जायेगा।
श्री जावड़ेकर ने “प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन” विषय पर लोकसभा में तीन दिन चली चर्चा का जवाब देते हुये कहा कि जलवायु परिवर्तन की शुरुआत दूसरी औद्योगिक क्रांति के साथ हुई। उस समय बड़ी संख्या में कारखाने लगे और उनमें कोयले का जलाया जाना शुरू हुआ। उससे उत्सर्जित कार्बन-डाई ऑक्साइड वातावरण में एकत्र होने लगी और यह सैकड़ों साल तक रहेगा। इस कारण धरती का तापमान बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन हो रहा है।
उन्होंनेे कहा “जलवायु परिवर्तन के लिए भारत जिम्मेवार नहीं है। अमेरिका में प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट 16 टन, यूरोप में 13 टन और चीन में 12 टन है जबकि भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट मात्र 1.9 टन है।” उन्होंने कहा कि इसके बावजूद हमने अपनी वैश्विक जिम्मेदारी समझते हुये जलवायु परिवर्तन को कम करने के चार उपाय किये हैं। हमने वर्ष 2040 तक अपनी ऊर्जा विविधता में नवीकरणीय ऊर्जा का अनुपात 40 प्रतिशत रखने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाकर 175 गीगावाट करने का लक्ष्य रखा था जिसमें 80 गीगावाट क्षमता हासिल की जा चुकी है। हमने उत्सर्जन तीव्रता में 35 प्रतिशत की कीमत का लक्ष्य तय किया है यानी सकल घरेलू उत्पाद में प्रति डॉलर वृद्धि के लिए जरूरी उर्जा खपत में वृद्धि 35 प्रतिशत कम की जायेगी।
उन्होंने बताया कि सरकार ने 25 लाख टन कार्बन समतुल्य बनाने का लक्ष्य रखा है और इस दिशा में प्रयास करते हुये पिछले चार साल में वन क्षेत्र में 13 हजार हेक्टेयर की वृद्धि की गयी है। भारत वन क्षेत्र बढ़ाने में सफल दुनिया के दो मात्र देशों में एक है। श्री मोदी ने पिछले दिनों घोषणा की है कि भारत बंजर हो चुकी 2.6 करोड़ हेक्टेयर भूमि को वर्ष 2030 तक उपजाऊ बनायेगा।
पर्यावरण मंत्री ने कहा “हम हमारे रास्ते पर चल रहे हैं, अब दुनिया को चलना है।”
अजीत जितेन्द्र
जारी वार्ता
धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाकर 175 गीगावाट करने का लक्ष्य रखा था जिसमें 80 गीगावाट क्षमता हासिल की जा चुकी है। हमने उत्सर्जन तीव्रता में 35 प्रतिशत की कीमत का लक्ष्य तय किया है यानी सकल घरेलू उत्पाद में प्रति डॉलर वृद्धि के लिए जरूरी उर्जा खपत में वृद्धि 35 प्रतिशत कम की जायेगी।
उन्होंने बताया कि सरकार ने 25 लाख टन कार्बन समतुल्य बनाने का लक्ष्य रखा है और इस दिशा में प्रयास करते हुये पिछले चार साल में वन क्षेत्र में 13 हजार हेक्टेयर की वृद्धि की गयी है। भारत वन क्षेत्र बढ़ाने में सफल दुनिया के दो मात्र देशों में एक है। श्री मोदी ने पिछले दिनों घोषणा की है कि भारत बंजर हो चुकी 2.6 करोड़ हेक्टेयर भूमि को वर्ष 2030 तक उपजाऊ बनायेगा।
पर्यावरण मंत्री ने कहा “हम हमारे रास्ते पर चल रहे हैं, अब दुनिया को चलना है।”
अजीत जितेन्द्र, जारी वार्ता
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