वन प्रबंधन में स्थानीय लोगों की भागीदारी आवश्यक: कोविंद

नयी दिल्ली, 23 जुलाई (वार्ता) राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने स्थानीय लोगों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संरक्षण के प्रयासों के साथ आजीविका के अवसरों को जोड़ने की मंगलवार को आवश्यकता जतायी।
श्री कोविंद ने उनसे राष्ट्रपति भवन मिलने आये भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के 2018-20 बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश के संयुक्त वन प्रबंधन मॉडल ने वनों के प्रबंधन में स्थानीय लोगों और समुदायों के साथ काम करने की परिकल्पना की है। इसमें स्थानीय लोगों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संरक्षण के प्रयासों के साथ आजीविका के अवसरों को जोड़ना महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें देश की वन संपदा की रक्षा और हरित आवरण को बढ़ाने के लिए काफी प्रयास कर रही हैं, हालांकि पारिस्थितिकीय पुनर्स्थापना, संरक्षण की निरंतरता और सफलता सामूहिक जागरूकता पर निर्भर है।
उन्होंने कहा, “हमारे देश के जंगलों और उसके आसपास आदिवासियों सहित बड़ी संख्या में गरीब लोग रहते हैं। जंगलों के माध्यम से ही वे भोजन और चारे की अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करते हैं। ये लोग सरल और परिश्रमी होने के साथ-साथ बहुत बुद्धिमान भी होते हैं। वे अपनी परंपराओं और मान्यताओं के तहत जंगलों का सम्मान करते हैं। वनों की रक्षा के लिए कोई भी उपाय इन लोगों की बुनियादी जरूरतों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और उन्हें भागीदार के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।”
सुरेश.श्रवण
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