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अमेरिकी फेड की लगातार दूसरी ब्याज दर कटौती, भारत जैसे उभरते बाजारों को मिलेगा बढ़ावा

Insight Online News

मुंबई, 8 नवंबर : अमेरिकी फेड की ब्याज दर कटौती भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए सकारात्मक मानी जा रही है। बाजार विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी फेड द्वारा इस साल लगातार दूसरी बार ब्याज दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए एक अच्छा संकेत है। अमेरिकी फेड ने ब्याज दरों में कटौती के बाद इसे 4.75 प्रतिशत कर दिया।

अमेरिकी मैक्रो इंडीकेटर्स को देखते हुए यह पहले से उम्मीद की जा रही थी कि इस बार भी अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की जाएगी।

एंजेल वन वेल्थ के एक के अनुसार, “भारत खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी का सामना कर रहा है और विकास की संभावनाएं भी कम हैं। आरबीआई भी विकास, मुद्रास्फीति और मुद्रा की चाल के बीच दुविधा की स्थिति का सामना कर रहा है। इस लिहाज से, घरेलू ब्याज दरों में कटौती से मदद मिलेगी।”

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस सप्ताह कहा कि हालांकि केंद्रीय बैंक ने विकास को बढ़ावा देने के लिए नरम तटस्थ मौद्रिक नीति की ओर रुख किया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ब्याज दरों में कटौती तुरंत होगी।

उन्होंने कहा, “रुख में बदलाव का मतलब यह नहीं है कि अगली मौद्रिक नीति बैठक में दरों में कटौती होगी,”

उन्होंने आगे कहा कि मुद्रास्फीति के लिए अभी भी महत्वपूर्ण जोखिम हैं और इस स्तर पर दरों में कटौती बहुत जोखिमपूर्ण होगी।

आरबीआई ने अपनी हालिया मौद्रिक नीति समीक्षा में, लगातार 10वीं बैठक के लिए ब्याज दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया, लेकिन अपनी मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ जरूर कर दिया।

इस बीच, फेड द्वारा इस वर्ष 25 आधार अंकों की यह लगातार दूसरी कटौती डोनाल्ड ट्रम्प की चुनावी जीत और बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा दरों में कटौती जैसे बड़े इवेंट के बाद देखी जा रही है।

सैमको सिक्योरिटीज के मार्केट पर्सपेक्टिव्स और रिसर्च के प्रमुख अपूर्व शेठ ने कहा कि फेड प्रमुख को मुद्रास्फीति को जल्द ही 2 प्रतिशत के लक्ष्य पर वापस लाने की उम्मीद है, इसलिए प्रतिबंधों से जुड़ी नीति की आवश्यकता नहीं है।

“बॉन्ड यील्ड में गिरावट आई है और यह 4.335 प्रतिशत के निशान से नीचे आ गई है। शेठ ने कहा कि भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए यह सकारात्मक संकेत है।

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि बाजार को आगे चलकर ब्याज दरों में धीमी कटौती की उम्मीद है और शायद मुद्रास्फीति बढ़ने की भी संभावना है।

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