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आरजी कर अस्पताल में भ्रष्टाचार मामला : दो डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय जांच की तैयारी शुरू

कोलकाता। आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बाद दो डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय जांच की प्रक्रिया आरंभ करने की तैयारी की जा रही है। आरोप है कि इस अस्पताल के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. देवाशीष सोम और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुजाता घोष अस्पताल में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में संलिप्त हैं। इस मामले में सीबीआई ने इन दोनों डॉक्टरों के खिलाफ राज्य स्वास्थ्य विभाग को चिट्ठी भेजी है, जिसमें विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।

सीबीआई सूत्रों के अनुसार, नौ अक्टूबर को भेजी गई इस चिट्ठी में स्वास्थ्य सचिव और राज्य के मुख्य सचिव को सूचित किया गया था कि आरजी कर अस्पताल में चल रहे भ्रष्टाचार में इन दोनों डॉक्टरों की भूमिका संदिग्ध है। इसके जवाब में स्वास्थ्य विभाग ने सीबीआई को बताया कि उन्हें इस विषय में पहले से जानकारी नहीं थी, लेकिन सीबीआई के पत्र के आधार पर विभागीय जांच की प्रक्रिया आरंभ करने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं।

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीबीआई के आरोपों के बाद विभाग ने प्रतिउत्तर भेजा है और संबंधित आरोपों की विभागीय जांच की तैयारी शुरू की जा रही है। स्वास्थ्य भवन के एक अधिकारी के अनुसार, आर.जी. कर अस्पताल द्वारा औषधियों और चिकित्सा संबंधी सामग्री की खरीद के लिए जो बजट मंजूरी के लिए स्वास्थ्य विभाग से मांगा गया था, उसे विभाग द्वारा मंजूर किया गया था। इस विषय में विस्तृत जानकारी सीबीआई को दी गई है।

इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट में आरजी कर अस्पताल के डॉक्टरों के वकील ने मामले की सुनवाई में कहा था कि कॉलेज में भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके जवाब में राज्य के वकील ने कहा कि सीबीआई मामले की जांच कर रही है और भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों के नाम साझा किए जाने पर राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई पर विचार करेगी। इसके बाद, सीबीआई ने स्वास्थ्य विभाग को एक चिट्ठी भेजी, जिसमें डॉ. देवाशीष सोम और डॉ. सुजाता घोष के नाम का जिक्र किया गया।

सीबीआई के अनुसार, इन दोनों डॉक्टरों को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया गया है, और इन पर पूर्व प्रधानाचार्य संदीप घोष के ‘करीबी’ होने का आरोप है। साथ ही, इन पर भ्रष्टाचार और अवैध वित्तीय लेन-देन में शामिल होने के ठोस प्रमाण मिलने का दावा किया गया है।

इस प्रकरण में अब विभागीय जांच की प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरू करने की तैयारी की जा रही है।

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