भाजपा और मजबूत करना चाहती है आदिवासी वोट बैंक पर पकड़
भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी धीरे-धीरे अपने वोट बैंक को और मजबूत करना चाहती है, लिहाजा उसकी सबसे ज्यादा नजर आदिवासी वोट बैंक पर है, जो कभी कांग्रेस की बड़ी ताकत हुआ करता था।
पार्टी ने राज्य में अनुसूचित जाति वर्ग को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की हैं, तो वहीं इस वर्ग के नायकों को सम्मानित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। विभिन्न स्थानों पर इस वर्ग के नायकों बिरसा मुंडा, टंटया भील, रानी दुर्गावती, रघुनाथ शाह, रानी कमलापति के नाम पर विविध आयोजन तो हो ही रहे हैं, साथ में विभिन्न संस्थाओं का नामकरण भी इनके नाम पर किया जा रहा है।
15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। राज्य में अनुसूचित जनजाति वर्ग के 21 प्रतिशत मतदाता है। इसके साथ ही 59 विकासखंड इस वर्ग की बहुलता वाले हैं। वही 47 विधानसभा सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं। राज्य के दोनों प्रमुख दल इन मतदाताओं को लुभाने रहते हैं। क्योंकि राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 20 प्रतिशत से ज्यादा सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं।
राज्य के पिछले विधानसभा चुनाव पर गौर करें तो आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 24 पर भाजपा को जीत मिली थी, इसके अलावा गैर आरक्षित आदिवासी बाहुल्य 29 सीटों में से 20 पर भाजपा ने कब्जा जमाया था।
राजनीतिक विश्लेषण का मानना है कि राज्य की राजनीति में आदिवासी वर्ग के वोट बैंक की खासी अहमियत है। कांग्रेस के सत्ता में रहने का बड़ा कारण इस वर्ग का समर्थन रहा है। कांग्रेस की इस वर्ग में पकड़ कमजोर पड़ हुई है और उसका लाभ भाजपा को मिला है। भाजपा इस पकड़ को स्थाई और मजबूत बनाना चाहती है, लिहाजा वह इस वर्ग के लिए लगातार योजनाएं बना रही और घोषणाएं कर रही है।
–आईएएनएस