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भू-राजनीतिक चुनौतियां: हंगरी, सर्बिया का रिश्तों को मजबूत बनाने का ऐलान, सात नए समझौतों पर हस्ताक्षर

बुडापेस्ट। हंगरी और सर्बिया ने क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं और बढ़ती ऊर्जा लागत के बीच बुनियादी ढांचे, आर्थिक विकास और एनर्जी में अपने रणनीतिक सहयोग को बढ़ाने का संकल्प लिया।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, बुडापेस्ट में हंगरी-सर्बियाई सामरिक सहयोग परिषद की दूसरी बैठक के बाद, हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने दोनों देशों की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के लिए नई संयुक्त परियोजनाओं पर प्रकाश डाला। इन प्रोजेक्ट में तेल, गैस पाइपलाइनों और पावर ट्रांमिशन में निवेश शामिल है।

ओर्बन ने कहा, “हंगरी और सर्बिया के साउथ बॉर्डर पर रोस्के-होर्गोस सीमा क्रॉसिंग के आधुनिकीकरण के लिए एक समझौता हुआ।”

सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक ने ओर्बन की भावनाओं को दोहराते हुए गठबंधन की मजबूती पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “सर्बिया हमेशा हंगरी का सहयोगी रहेगा, ठीक वैसे ही जैसे हंगरी हमेशा सर्बिया के साथ खड़ा रहेगा।”

वुसिक ने कहा कि दोनों देशों ने सात नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे द्विपक्षीय समझौतों की कुल संख्या 180 हो गई है। उन्होंने कहा, “हमारे राजनीतिक, आर्थिक और लोगों के बीच संबंध पहले कभी इतने मजबूत नहीं रहे।”

यूक्रेन-रूस के बीच चल रहे संघर्ष पर टिप्पणी करते हुए वुसिक ने शांति की जरुरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “अगर शांति नहीं होगी, तो अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं होगी, विकास नहीं होगा, किसी भी सामाजिक क्षेत्र में प्रगति नहीं होगी… हंगरी और सर्बिया दोनों ही संघर्ष से सफलतापूर्वक बाहर रहे हैं।”

इस बीच हंगरी के आंतरिक संचार सचिव जोल्टन कोवाक्स ने कहा कि सर्बिया और चीन के सहयोग से रोश्के में विकसित एक प्रमुख सीमा परियोजना का उद्देश्य लंबे प्रतीक्षा समय को कम करना और क्रॉस बॉर्डर ट्रेड को आसान बनाना है।

–आईएएनएस

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