पार्वती, कालीसिंध और चंबल लिंक परियोजना दो राज्यों को वरदान साबित होगी – मोदी
भोपाल/जयपुर, 17 दिसंबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों के लिए वरदान साबित होगी और इस संबंध में दोनों राज्यों और केंद्र सरकार के बीच जो अनुबंध सहमति पत्र हस्ताक्षरित हुआ है, वह सामान्य सहमति पत्र नहीं है।
श्री मोदी ने जयपुर में राजस्थान सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के साथ ही पार्वती-कालीसिंध- चंबल लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय अनुबंध कार्यक्रम को संबोधित किया। जयपुर में संपन्न इस कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव विशेष रूप से उपस्थित थे। प्रधानमंत्री श्री मोदी की उपस्थिति में परियोजना के अनुबंध सहमति पत्र (मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट) पर मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार की ओर से हस्ताक्षर किए गए।
श्री मोदी ने अपने संबोधन में इस समझौते को दोनों राज्यों के लिए ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह आने वाले कई दशकों तक याद रखा जाएगा। इसके लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार तथा जनता, सभी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि परियोजना पर बिना रुके काम आगे बढ़ता रहेगा और समय से पहले परियोजना पूरी होगी। इसके पहले प्रधानमंत्री श्री मोदी ने चंबल नदी के जल से युक्त कलश के जल को एक बड़े कलश में प्रवाहित किया। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा दिए गए कालीसिंध नदी के जल से युक्त कलश के जल और मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा द्वारा दिए गए पार्वती नदी के जल से युक्त कलश के जल को भी उसी बड़े कलश में प्रवाहित किया।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने नदियों को आपस में जोड़ने का सपना देखा था और उसके लिए विशेष समिति भी बनाई गई थी। नदियों को जोड़ने की योजना तो बन गई, पर उन्हें पूर्व सरकारों ने अनावश्यक रूप से उलझाए रखा। परंतु हमारी सरकार “विवाद नहीं- संवाद की, विरोध नहीं- सहयोग की नीति” पर कार्य करती है। इसी का परिणाम है कि आज पार्वती- कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर हुए हैं। परियोजना के अंतर्गत चंबल और उसकी सहायक नदियों पार्वती, कालीसिंध और चम्बल को आपस में जोड़ा जाएगा। इससे मध्यप्रदेश और राजस्थान में विकास के नए द्वार खुलेंगे।
श्री मोदी ने कहा कि नदियों को जोड़ने से बाढ़ और सूखे दोनों समस्याओं का समाधान संभव है। हम जल के महत्व को समझते हैं। पानी पारस है, जहां भी स्पर्श करता है, नई ऊर्जा व शक्ति को जन्म देता है। यह नदियों के पानी को जोड़ने का ही परिणाम है कि साबरमती नदी जो एकदम सूख गई थी, आज फिर से सजीव हो गई है। पार्वती- कालीसिंध -चंबल लिंक परियोजना से दोनों राज्यों को सिंचाई और पेयजल के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने संबोधन में कहा कि मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के प्रयासों से यह परियोजना 20 वर्षों के लम्बे इतंजार के बाद मूर्त रूप ले रही है। डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री श्री मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिक युग के भागीरथ की तरह उन्होंने राजस्थान और मध्यप्रदेश को इस परियोजना के माध्यम से विकास की अदभुत सौगात दी है। मध्यप्रदेश के चंबल और मालवा क्षेत्र के लिए यह एक अद्वितीय परियोजना है। डॉ. यादव ने श्री मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश और राजस्थान की वर्तमान सरकार के एक वर्ष पूरा होने पर दोनों प्रदेशों की जनता को उपहार देने स्वयं प्रधानमंत्री पधारे हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस परियोजना के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि पार्वती-कालीसिंध- चंबल लिंक परियोजना की अनुमानित लागत 72 हजार करोड़ रुपए है। इसमें से मध्यप्रदेश 35 हजार करोड़ और राजस्थान 37 हजार करोड़ रुपये व्यय करेगा। केन्द्र की इस योजना में कुल लागत का 90 प्रतिशत केन्द्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश रहेगा। परिजयाेजना के तहत मिलने वाला जल, पेयजल और उद्योगों के लिये भी आरक्षित रहेगा।
डॉ यादव ने कहा कि परियोजना अंतर्गत 21 बांध/बैराज निर्मित किये जाएंगे। परियोजना से श्योपुर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर के अलावा आगर, इंदौर, धार, उज्जैन, शाजापुर, राजगढ़, सीहोर इत्यादि संपूर्ण पश्चिमी मध्यप्रदेश में पीने के पानी और सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था रहेगी। परियोजना से प्रदेश के 3217 ग्रामों को लाभ मिलेगा। मालवा और चंबल क्षेत्र में 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा।