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क्रिसमस कार्यक्रम में बोले PM मोदी- प्रेम, सद्भाव और भाईचारा सिखाती हैं प्रभु ईसा मसीह की शिक्षाएं

पहली बार पीएम सीबीसीआई मुख्यालय के क्रिसमस कार्यक्रम में पहुंचे

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि प्रभु ईसा मसीह की शिक्षाएं प्रेम, सद्भाव और भाईचारा सिखाती हैं और इस भावना को मजबूत बनाने के लिए सभी को काम करना जरूरी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सिर्फ जन-केंद्रित नीति जैसी भारत ने अपनाई है, 21वीं सदी की दुनिया को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है।

भारत के कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में मोदी ने कहा कि जब समाज में हिंसा फैलाने और विघटन पैदा करने की कोशिश की जाती है तो उन्हें बहुत दुख होता है। जर्मनी में क्रिसमस बाजार पर हुए हमले और श्रीलंका में 2019 ईस्टर बम विस्फोटों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि ऐसी चुनौतियों से एकसाथ मिलकर लड़ना जरूरी है। ऐसा पहली बार है जब किसी प्रधानमंत्री ने भारत के कैथोलिक चर्च (सीबीसीआई) के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

मोदी ने कहा, ”एक दशक पहले जब हम फादर एलेक्सिस प्रेम कुमार को युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से सुरक्षित वापस लाए थे तो यह मेरे लिए बहुत संतोषजनक क्षण था। वह आठ महीने तक वहां फंसे रहे और बंधक बने रहे। हमारे लिए ये सभी मिशन महज राजनयिक मिशन नहीं हैं, बल्कि परिवार के सदस्यों को वापस लाने की भावनात्मक प्रतिबद्धता है।” उन्होंने कहा कि चाहे वे कहीं भी हों या किसी भी संकट का सामना कर रहे हों, आज का भारत अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाना अपना कर्तव्य समझता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास’ के साझा लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “आज भारत अपने हर बेटे को, चाहे वह किसी भी मुश्किल परिस्थिति में फंसा हो, साथ लेकर आता है। भारत अपनी विदेश नीति में राष्ट्रहित के अलावा मानवीय हितों को प्राथमिकता देता है। कोविड-19 संकट के दौरान दुनिया ने इसे देखा और महसूस किया।”
सीबीसीआई को दी बधाई
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सीबीसीआई अपनी 80वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। मैं सीबीसीआई से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे हमेशा आपसे स्नेह मिला है। मुझे पोप फ्रांसिस से भी वही स्नेह मिलता है। इटली में जी7 बैठक के दौरान मैं उनसे मिला था। यह तीन साल में मेरी उनसे दूसरी मुलाकात थी। मैंने उन्हें भारत आने का निमंत्रण दिया।

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