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दस साल में पहला अवसर जब संसद सत्र से पूर्व विदेश से चिंगारी लगाने की कोई कोशिश नहीं हुई : प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज बजट सत्र से पूर्व आशा व्यक्त की कि सरकार और संसद देश की आकांक्षाओं के बजट सत्र में खरे उतरेंगे। साथ ही उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि इस बार संसद सत्र के पूर्व विदेश से चिंगारी लगाने की कोई कोशिश नहीं हुई।

प्रधानमंत्री मोदी ने बजट सत्र के आरंभ से पूर्व परंपरागत तौर पर मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सरकार और संसद देश की आशा-आकांक्षाओं के बजट सत्र में खरे उतरेंगे। साथ ही इस बजट सत्र में सभी सांसद विकसित भारत को मजबूती देने के लिए अपना योगदान देंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वक्तव्य की शुरुआत में महालक्ष्मी को प्रणाम किया और धन, संपदा और समृद्धि की देवी लक्ष्मी सब पर कृपा करने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि मां लक्ष्मी हमें सिद्धि, विवेक, समृद्धि और कल्याण देती हैं। “मैं प्रार्थना करता हूं कि देश के हर गरीब एवं मध्यम वर्गीय समुदाय पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहे।”

अपने तीसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सत्र और बजट लोगों में एक नया विश्वास पैदा करेगा और नई ऊर्जा देगा। वह विश्वास से कह सकते हैं कि 2047 में आजादी के 100 साल होने पर विकसित भारत संकल्प पूरा होगा।

अपने भाषण के अंत में उन्होंने भारतीय राजनीति में विदेशी दखल पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “2014 से लेकर अब तक शायद ये पहला संसद का सत्र है, जिसके एक दो दिन पहले कोई विदेशी चिंगारी नहीं भड़की है, विदेश से आग लगाने की कोशिश नहीं हुई है। मैं 2014 से देख रहा हूं कि हर सत्र से पहले शरारत करने के लिए लोग तैयार बैठते थे और यहां उन्हें हवा देने वालों की कोई कमी नहीं है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि नवाचार समावेशन और निवेश लगातार हमारी आर्थिक गतिविधि के रोडमैप का आधार रहे हैं। इस सत्र में हमेशा की तरह कई ऐतिहासिक विधायकों पर सदन में चर्चा होगी और व्यापक मंथन के साथ वो राष्ट्र की ताकत बढ़ाने वाले कानून बनेंगे। विशेषकर नारी शक्ति के गौरव को पुनः प्रस्थापित करना, पंथ-संप्रदाय के भेद से मुक्त होकर हर नारी को सम्मानपूर्ण जीवन और समान अधिकार मिले, इस दिशा में इस सत्र में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह सत्र विशेष कर युवा सांसदों के लिए अपनी बात रखने का यह महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा। सदन में युवा सांसद जितनी जागरुकता और भागीदारी बढ़ाएंगे, विकसित भारत के फल उनकी नजर के सामने देखने को मिलेंगे। इसलिए युवा सांसदों के लिए ये एक अनमोल अवसर है।

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