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सेबी ने डेरिवेटिव्स मार्केट में स्टॉक्स में हेराफेरी को रोकने के लिए दिया नया प्रस्ताव

मुंबई । भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट के ओपन इंटरेस्ट (ओआई) के कैलकुलेशन के तरीके में बड़े बदलाव का प्रस्ताव दिया है।

सेबी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट के ओआई के कैलकुलेशन के लिए मौजूदा ‘नोशनल वैल्यू’ की जगह ‘फ्यूचर इक्विलेंट’ पद्धति पर जाने का सुझाव दिया गया है।

इस बदलाव के पीछे सेबी का उद्देश्य उस प्रथा को रोकना है, जिसके तहत डेरिवेटिव्स शेयरों को हेराफेरी के जरिए बैन में धकेल दिया जाता है।

सेबी ने बताया कि मौजूदा नोशनल वैल्यू मेथड में सभी फ्यूचर्स और ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स की कुल वैल्यू को बिना वास्तविक मार्केट रिस्क को देखे जोड़ा जाता है और इससे लगता है कि स्टॉक में काफी ज्यादा कारोबार हुआ है। इस स्थिति में स्टॉक बैन में चला जाता है, जब रिस्क ज्यादा भी नहीं होता।

वहीं, प्रस्तावित फ्यूचर इक्विलेंट मेथड में ओपन इंटरेस्ट का कैलकुलेशन कुल वैल्यू की जगह स्टॉक के साथ कॉन्ट्रैक्ट कितना चलता है, इस आधार पर की जाएगी।

यह बाजार जोखिम की अधिक सटीक तस्वीर प्रस्तुत करेगा और अनावश्यक ट्रेडिंग प्रतिबंधों को कम करेगा।

डेरिवेटिव्स मार्केट में कोई स्टॉक तभी बैन में जाता है, जब उसकी ट्रेडिंग लिमिट टूट जाती है। इस स्थिति में ट्रेडर अपनी मौजूदा पॉजिशन को समाप्त कर सकता है, लेकिन फ्यूचर्स और ऑप्शंस में नई पॉजिशन नहीं ले सकता है।

सेबी का मानना ​​है कि कैलकुलेशन पद्धति बदलने से शेयरों के प्रतिबंध अवधि में प्रवेश करने की आवृत्ति कम हो जाएगी, जिससे छोटे निवेशकों के लिए व्यापार करना आसान हो जाएगा।

सेबी ने मार्केट-वाइड पॉजिशन लिमिट (एमडब्ल्यूपीएल) में भी बदलाव का प्रस्ताव दिया है, जो किसी स्टॉक के लिए अधिकतम ट्रेडिंग की अनुमति निर्धारित करता है।

वर्तमान में एमडब्ल्यूपीएल स्टॉक के फ्री-फ्लोट बाजार पूंजीकरण के 20 प्रतिशत पर निर्धारित है।

इसके अलावा मार्केट मॉनिटरिंग को सशक्त करने के लिए सेबी ट्रेडिंग सत्र के दौरान कम से कम चार बार एमडब्ल्यूपीएल ब्रीच चेक करने की योजना बना रहा है।

–आईएएनएस

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