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सेंट्रल युनिवर्सिटी में बनाएं इंटरनल ग्रीवांस सेल : डॉ लकड़ा

रांची, 8 अप्रैल । सेंट्रल युनिवर्सिटी झारखंड में कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं के लिए इंटरनल ग्रीवांस सेल बनाएं, जिसमें एक एसटी एवं एक महिला सदस्य हो ताकि विश्वविद्यालय में अनुसूचित जनजाति से संबंधित मामलों का निष्पादन किया जा सके। मंगलवार को सेंट्रल यूनिवर्सिटी की समीक्षा के दौरान ये बातें राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने कही।

उन्होंने बताया कि कुल तीन चरणों में सेंट्रल यूनिवर्सिटी से संबंधित मामलों की समीक्षा की गई। डॉ आशा लकड़ा ने बताया कि अजीत किसपोट्टा पूर्व में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में कार्यरत थे। वहां से स्थानांतरण होने के बाद उन्होंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड में योगदान दिया। उनकी ग्रेच्युटी के लिए केंद्रीय सेंट्रल यूनिवर्सिटी की ओर से अकाउंट डिटेल नहीं भेजा जा रहा है।

वहीं उन्‍होंने पाया कि कोरोना काल के दौरान डॉ वाटर वे का निधन हो गया था। उनके आश्रितों को अब तक अनुकंपा आधारित नौकरी नहीं मिली। इसी प्रकार नेहा जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत थी। इनके निधन के बाद आश्रितों को न तो अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली और न ही अन्य लाभ। उन्होंने सेंट्रल युनिवर्सिटी प्रबंधन को तत्काल इन सभी मामलों में रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को भेजने का निर्देश दिया।

मौके पर उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय स्तर पर नन टीचिंग स्टाफ के लिए कोई नियमावली नहीं बनाई गई है। विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति की गई है, लेकिन सहायक प्रोफेसर के पद खाली हैं। इसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग के पद भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी में अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं की संख्या बेहद कम है। साथ ही उन्होंने कॉलेज प्रबंधन को अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं के नामांकन के लिए प्रचार-प्रसार कराने को कहा। ताकि संबंधित छात्रों को सेंट्रल युनिवर्सिटी में संचालित कोर्स और समय पर नामांकन से संबंधित जानकारी मिल सके।

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