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जेएनयू छात्रसंघ चुनाव लेफ्ट और राइट संगठनों ने दिखाई ताकत, मशाल जुलूस में नारेबाजी

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रसंघ चुनाव से पहले लेफ्ट संगठन और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। दोनों संगठनों ने अपने-अपने चार उम्मीदवारों के साथ सैकड़ों समर्थकों के साथ विशाल मशाल जुलूस निकाला।

इस दौरान दोनों पक्षों की ओर से जमकर नारेबाजी हुई, जिससे कैंपस का माहौल तनावपूर्ण हो गया। एबीवीपी ने देर रात गंगा ढाबा से मशाल जुलूस शुरू किया। भगवा झंडे लहराते हुए और ढोल की थाप पर समर्थक जय श्री राम और जय भवानी के नारे लगाते हुए कैंपस में घूमे।

दूसरी ओर, लेफ्ट यूनिटी (आइसा और डीएसएफ) ने साबरमती ढाबा से अपने चार उम्मीदवारों के साथ जुलूस निकाला। इस दौरान उनके समर्थकों ने विवादित नारा “जो मुखिया की चाल चलेगा, वो मुखिया की मौत मरेगा” लगाया।

एक समय ऐसा आया जब दोनों संगठनों के जुलूस आमने-सामने हो गए। नारेबाजी और तनाव बढ़ता देख जेएनयू सुरक्षा कर्मियों और सादे वेश में मौजूद दिल्ली पुलिस ने हस्तक्षेप कर दोनों समूहों को अलग-अलग रास्तों पर ले जाकर स्थिति को नियंत्रित किया। वहीं, जेएनयू के मुख्य चुनाव आयोग ने पिछले शुक्रवार को हुए हंगामे और सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए चुनाव प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी है।

हालांकि, दोनों संगठनों को भरोसा है कि चुनाव तय तारीखों पर ही होंगे। उनके अनुसार, 23 अप्रैल को प्रेसिडेंशियल डिबेट और 25 अप्रैल को मतदान होगा। इसी विश्वास के साथ दोनों पक्ष चुनाव प्रचार में जुटे हैं। लेफ्ट संगठन और एबीवीपी दोनों ही अपने-अपने समर्थकों के साथ कैंपस में जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं। मशाल जुलूस के जरिए दोनों ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की। लेकिन विवादित नारों और तनावपूर्ण माहौल ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।

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