श्रीलंका में छह डॉल्फिन समुद्र तट पर मिलीं, चोट देखकर विज्ञानी चिंतित
कोलंबो। श्रीलंका में कम से कम छह डॉल्फिन समुद्र तट पर मिली हैं। सभी चोटिल हैं। इससे वन्यजीव विज्ञानी चिंतित आश्चर्यचकित हैं। वह इसकी वजह के लिए अशांत समुद्री परिस्थितियों की ओर इशारा कर रहे हैं। देश के वरिष्ठ वन्यजीव अधिकारियों ने इसके निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अध्ययन शुरू किया है।
डेली मिरर की खबर में वन्यजीव अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि कलूटारा साउथ बीच पर कम से कम छह डॉल्फिन बहकर किनारे पर आ गईं। वन्यजीव संरक्षण विभाग की पशु चिकित्सा इकाई के अधिकारियों ने कहा कि डॉल्फिन को स्पष्ट चोटों के साथ पाया गया। अधिकारियों के अनुसार, इस घटना में अशांत समुद्री परिस्थितियों की भी भूमिका हो सकती है। इसलिए, कलूटारा साउथ बीच के आसपास की सटीक परिस्थितियों का पता लगाने के लिए जांच चल रही है।
समुद्रीय विज्ञानियों के अनुसार, डॉल्फिन को चोट लगने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें कुछ मुख्य कारण हैं- मछली पकड़ने के उपकरणों में उलझना। महासागर का प्रदूषण। आवास की हानि। जलवायु परिवर्तन और ध्वनि प्रदूषण। डॉल्फिन का शिकार। गैर जिम्मेदार पर्यटन। इसके अतिरिक्त नावों से टकराना, फंगल संक्रमण और मनुष्यों का प्रताड़ित करना भी डॉल्फिन को चोट पहुंचाने का कारण बन सकता है।
श्रीलंका के दक्षिणी समुद्र के जल में ब्लू व्हेल, ब्राइड्स व्हेल, स्पर्म व्हेल, फिन व्हेल, बॉटल नोज डॉल्फिन, कॉमन डॉल्फिन और स्पिनर डॉल्फिन पाई जाती हैं। कलपिटिया के जल में स्पिनर डॉल्फिन के बड़े समूह पाए जाते हैं। यहां स्पर्म व्हेल, ब्लू व्हेल, पिग्मी स्पर्म व्हेल और पायलट व्हेल भी बड़े समूहों में देखे जाते हैं। शर्मीली पिग्मी किलर व्हेल और पेलाजिक मेलन-हेडेड व्हेल इंसानों को शायद ही कभी दिखाई देती हैं। लेकिन वह श्रीलंका के समुद्र में पूरे साल रहती हैं।
रिसो की डॉल्फिन भी एक गहरे पानी की प्रजाति है। यह भी इंसानों से दूर रहती है। कभी-कभार धनुषाकार तरंगों पर सर्फ करती है। ऐसा खुरदरे दांतों वाली डॉल्फिन भी करती है। कभी-कभी फ्रेजर और धारीदार डॉल्फिन के विशाल झुंड दिखाई देते हैं। उथले पानी की स्पिनर डॉल्फिन की कलाबाजा अकसर देखने को मिलती है। एथलेटिक स्पॉटेड डॉल्फिन नावों के आसपास खेलते हैं। व्हाइट इंडो-पैसिफिक हंपबैक, किलर व्हेल और फॉल्स किलर व्हेल भी दिखाई देते हैं।