HindiJharkhand NewsNewsPolitics

आयुष्मान भारत योजना की सुविधा को खत्म करने में जुटी हेमंत सरकार: बाबूलाल

-कांग्रेस-झामुमो को सरना कोड की चिंता है तो धर्मांतरण पर रोक लगाए :बाबूलाल

रांची, 27 मई । भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने दो प्रमुख मुद्दों पर हेमंत सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। हेमंत सरकार की ओर से राज्य की जनता को आयुष्मान योजना के लाभ से वंचित किए जाने पर उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत सरकार की अनूठी पहल है, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड की धरती से ही लॉन्च किया था, वह आज झारखंड में शिथिल पड़ी हुई है। मरांडी मंगलवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस वार्ता में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत गरीबों को पांच लाख तक के इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस योजना के प्रावधान के तहत केंद्र सरकार की भागीदारी 60 प्रतिशत और राज्य सरकार की 40 प्रतिशत होती है। यदि राज्य सरकार इसे अपने राज्य की योजना में अलग नाम से चलाती है, तो यह अनुपात 40:60 का हो जाता है। आज झारखंड में यह मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत इसी अनुपात में चल रहा। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार के प्रावधान के तहत लाल कार्ड,पीला कार्ड और हरा कार्डधारियों के साथ राज्य के कर्मचारी,पेंशनधारी सहित पत्रकार,वकील आदि भी इसमें शामिल हैं।

मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार ने वाहवाही के लिए घोषणाएं तो खूब की हैं, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। आज सरकार के निर्णयों से जनता परेशान है। हेमंत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के लिए 30 बेड के हॉस्पिटल और शहरी क्षेत्र के लिए 50 बेड की अनिवार्यता सुनिश्चित की है । जबकि ग्रामीण के लिए यह नियम कहीं से भी उपयुक्त नहीं है। झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में 30 बेड के हॉस्पिटल उपलब्ध नहीं है। जबकि भारत सरकार के निर्णयों में 10 बेड के हॉस्पिटल का प्रावधान किया गया है। ऐसे में यह सरकार अपने निर्णयों से बड़े अस्पतालों को लाभान्वित करना चाहती है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इतना ही नहीं, राज्य में जो 750 हॉस्पिटल मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना में सूचीबद्ध हैं, जिसमें प्राप्त जानकारी के अनुसार 538 हॉस्पिटल का भुगतान फरवरी 2025 से नहीं हुआ है और 212 हॉस्पिटल का पिछले 10 महीने से बकाया भुगतान नहीं हुआ । ऐसे में सूचीबद्ध अस्पतालों ने राज्य सरकार को त्राहिमाम संदेश भेजकर गरीबों का इलाज इस योजना के तहत बंद कर दिया है। आज गरीब जनता इलाज के लिए दर-दर भटक रही है और जान बचाने के लिए महंगे इलाज कराने के लिए विवश है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इस योजना के तहत प्रदेश और जिला स्तर पर शिकायत निवारण समितियां भी गठित हैं, जिनकी बैठकें भी नहीं होती हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का बयान भी बेतुका आता है। वे इस लचर व्यवस्था के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दोषी ठहराते हैं, जबकि ईडी ने कभी किसी हॉस्पिटल पर छापेमारी नहीं की। छापेमारी हुई तो दलालों, बिचौलियों के घर। यदि सरकारी फाइलें दलालों बिचौलियों के घर थीं, तो मंत्री सबसे पहले ऐसे लोगों पर एफआईआर दर्ज कराएं।

मरांडी ने राज्य सरकार से मांग की, कि अविलंब राज्य सरकार अस्पतालों के बकाए का भुगतान सुनिश्चित कराए। केंद्र सरकार के तय मानक के तहत 10 बेड के हॉस्पिटल को ग्रामीण क्षेत्रों में सूचीबद्ध किया जाए। तभी गरीबों और जरूरतमंद तक इसका लाभ पहुंचेगा। राज्य सरकार को इधर-उधर की बातें कर जनता को धोखा नहीं देना चाहिए।

कांग्रेस, झामुमो की ओर से सरना कोड लागू करने की मांग पर मरांडी ने कहा कि दोनों पार्टियों को यदि सरना आदिवासियों की चिंता है, तो आधा अधूरा काम नहीं करें, इसे पूरी तरह करें। सरना कोड के पहले महत्वपूर्ण है सरना धर्म संस्कृति की रक्षा। उन्होंने 2011 की जनगणना के हवाले से आंकड़ा देते हुए बताया कि 2011 में झारखंड की कुल आबादी 3,29,88,134 थी, जिसमें 86,45042 आदिवासियों की संख्या थी। 2011 में राज्य में आदिवासियों की कुल आबादी 26.20 प्रतिशत थी। इसमें 14,18,608 ईसाईयों की संख्या है। अर्थात कुल आदिवासी आबादी के 15.48 प्रतिशत लोग ईसाई धर्मावलंबी हो चुके हैं।

अगर इसे हम जातिवार और विस्तार से देखें, तो उरांव में 26 प्रतिशत मुंडा ( पातर मुंडा सहित) में 33 प्रतिशत, संथाल में 0.85 प्रतिशत ,हो में 2.14 प्रतिशत और खड़िया में 67.92 प्रतिशत ईसाई बन चुके हैं। और यह आंकड़ा लगभग 15 वर्ष पहले का है। अर्थात झारखंड की कुल आबादी के 4.30 प्रतिशत ईसाई हैं। मरांडी ने झामुमो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व हेमंत सोरेन और राहुल गांधी से पूछा कि वे बताएं कि आखिर आदिवासी ऐसे ही अपनी धर्म संस्कृति से अलग होता गया, तो फिर सरना धर्म कोड कौन भरेगा? प्रेस वार्ता में प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक और प्रवक्ता प्रतुल शाह देव भी मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *