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25 सालों से नेपाल बॉर्डर पर मिशनरीज का जाल, निशाने पर सिख; अब तक तीन हजार लोग करा चुके मतांतरण

पीलीभीत। टाटरगंज, बैल्हा, बाजारघाट, वमनपुर भगीरथ और ट्रांस शारदा के आसपास का क्षेत्र ईसाई मिशनरीज के जाल में फंस गया। 25 वर्ष पहले नेपाल के रास्ते आए पादरी ने टाटरगंज में एक सिख को मतांतरित किया था, जिसके बाद संख्या बढ़कर सैकड़ों में पहुंच गई।

बैल्हा गुरुद्वारा कमेटी के प्रबंधक गुरदयाल सिंह दावा करते हैं कि अब तक तीन हजार से अधिक सिखों को मतांतरित किया जा चुका है। किसी को प्रलोभन दिया तो किसी को दबाव बनाकर ईसाई बना दिया गया। इनमें 150 की सूची भी डीएम को सौंपी थी, मगर अभी तक कार्रवाई का इंतजार है।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने काशीपुर मिशन के प्रभारी सुखविंदर सिंह को मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है। सुखविंदर सिंह ने बताया कि पीलीभीत के आसपास के 15-20 गांवों में, जहां सिख समुदाय के लोग निवास करते हैं, ईसाई समुदाय के अनुयायी इस क्षेत्र को अपने प्रचार का केंद्र बना रहे हैं।

बाढ़ के कारण आर्थिक रूप से कमजोर हुए लोग धर्म परिवर्तन के लिए लालच का शिकार हो रहे हैं। डीएम ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि मतांतरण संबंधी शिकायत का संज्ञान लिया गया है। इस बारे में पूरनपुर के उपजिलाधिकारी को विस्तृत आख्या देने का निर्देश दिया गया है। पुलिस भी छानबीन कर रही है।

यदि कोई व्यक्ति संलिप्त पाया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी। सीमा पर सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की तैनाती रहती है, मगर किसी के आने-जाने पर रोक नहीं है। यही कारण है कि ईसाई मिशनरीज को पैर फैलाने में कोई दिक्क्त नहीं हुई। क्षेत्र के गांवों को शारदा नदी की बाढ़ अत्यधिक प्रभावित करती है।

मिशनरीज के लोगों ने भौगोलिक परिस्थितियों और आर्थिक मजबूरी का लाभ उठाते हुए मतांतरण आरंभ करा दिया। वर्षों तक दुर्गम क्षेत्र की गतिविधियां मुख्यालय तक नहीं पहुंच सकीं। इस बीच मिशरीज का रैकेट इतना बड़ा हो चुका था कि जिले के आखिरी गांव बैल्हा में चर्च बनाया जाने लगा था।

जून 2024 में ग्रामीणों ने इसकी शिकायत तत्कालीन एसपी से की थी। उस समय बिना अनुमति बन रही चर्च का निर्माण रुकवा दिया, मगर मिशनरी के कारनामे सार्वजनिक हो चुके थे। अक्टूबर में मतांतरण करने वाले नौ परिवारों का सामाजिक बहिष्कार भी किया गया। यह सब होता देख मतांतरण रैकेट कुछ दिन शांत रहा, मगर बाद में फिर से गतिविधियां शुरू हो गईं।

10 मई को एक महिला ने जबरन मतांतरण के प्रयास का आरोप लगाया था, तब पादरी अर्जुन, सतनाम समेत 56 पर प्राथमिकी हुई। आल इंडिया सिख पंजाबी वेलफेयर काउंसिल के अध्यक्ष एवं लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष सरदार हरपाल सिंह जग्गी ने भी पीलीभीत के डीएम व एसपी को मतांतरित 150 परिवारों की सूची सौंपकर कार्रवाई की मांग की थी।

सिख संगठनों के साथ आए विश्व हिंदू परिषद ने शुक्रवार को टाटरगंज गुरुद्वारा में बैठक की। उसमें तय हुआ कि पादरियों को इन गांवों से बाहर भगाएंगे। दीवारों पर क्रास के निशान : टाटरगंज, बैल्हा समेत कुछ अन्य गांवों में सिखों को प्रलोभन देकर मतांतरण के लिए उकसाया जा रहा।

कई घरों की दीवारों पर क्रास के निशान बनाए गए। कुछ घरों में ईसाई प्रचार वाले कैलेंडर भी मिले। सिख संगठनों के आवाज उठाने पर सक्रिय हुई पुलिस इन गांवों में पहुंची तो अधिकतर ने मतांतरण से इन्कार कर दिया, परंतु लाल क्रास लगा था। पुलिस ने ऐसे कई निशान हटवा दिए। ऐसे कई मकानों में पादरी प्रार्थना सभा भी करने आते हैं।

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