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पुराने जमाने में तकनीक नहीं थी, फिर भी रिश्ते मजबूत थे: पंकज त्रिपाठी

नई दिल्ली। मशहूर अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने पुराने जमाने के प्यार के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि पहले का प्यार सीधा-सादा, धैर्य से भरा और भरोसे पर टिका होता था। उन्होंने अपनी यादों को ताजा करते हुए बताया कि जब वह और उनकी पत्नी मृदुला एक-दूसरे से बात करते थे, तब मोबाइल नहीं हुआ करते थे। वह हर दिन कैंटीन में बैठ लैंडलाइन फोन पर मृदुला के फोन का इंतजार करते थे। उस समय का प्यार इंतजार और भरोसे से चलता था और सच्चा होता था।

जब पंकज त्रिपाठी से पूछा गया कि एक सफल शादी और रिश्ते की कुंजी क्या है, तो उन्होंने आईएएनएस को बताया, हमारे समय में ज्यादा तकनीक नहीं थी। हमारे पास मोबाइल फोन नहीं होते थे। हर किसी के हाथ में तकनीक नहीं थी। जब हम घर से बाहर निकलते थे, तो हमारे लिए तकनीक बस यही होती थी कि हम पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बैठते थे।

उन्होंने कहा कि उस समय तकनीक का मतलब ऐसी चीजों से था जिन पर हम चढ़कर सफर करते थे, जैसे ट्रेन, बस, टेंपो, ऑटो या बाइक।

पंकज त्रिपाठी ने कहा, हमारे हाथ में मोबाइल नहीं हुआ करता था। उस समय सिर्फ लैंडलाइन फोन होता था। फिर जब मोबाइल आया, तो उसके साथ बहुत सारी चीजें भी आ गईं। हां, मोबाइल के साथ सोशल मीडिया, पेमेंट ऐप्स और बाकी सारे ऐप्स भी आ गए। अब तो हमारी जिंदगी में 24 घंटे टेक्नोलॉजी शामिल है। पहले ऐसा नहीं था।

उन्होंने अपनी जवानी के दिन याद करते हुए बताया कि वह हर दिन लैंडलाइन फोन पर अपनी होने वाली पत्नी मृदुला के फोन का इंतजार करते थे।

उन्होंने आगे कहा, मुझे याद है जब मैं हॉस्टल में रहता था। रात 8 बजे मृदुला का फोन आता था, कैंटीन के लैंडलाइन पर। पूरा दिन सिर्फ उसी एक कॉल का इंतजार करते हुए निकल जाता था।

पंकज ने कहा, उस समय न तो कोई रिंगटोन होती थी, न ही कॉलर आईडी जिससे पता चले कि कॉल हमारे लिए है। इसलिए हम पूरे दिन बस यही उम्मीद करते थे कि रात 8 बजे फोन जरूर आएगा। अब लोग पूरा दिन यह देखने में लगा देते हैं कि सामने वाला कहां है, उसकी लोकेशन क्या है।

अभिनेता ने कहा, इसी तरह मन में शक बनना शुरू हो जाता है। अब तकनीक की वजह से हम किसी की लोकेशन देख सकते हैं कि वो कहां है। कोई घर से निकला, उसकी लोकेशन अपडेट हो रही है, लेकिन उसने मुझे कुछ नहीं बताया।

अभिनेता ने कहा कि उनके समय में शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी।

पंकज ने कहा, हमारे समय में ऐसे शक नहीं होते थे, क्योंकि हमारे पास इतनी तकनीक नहीं थी। मैं बस शाम को कॉल का इंतजार करता था और फिर हम बात करते थे।

पंकज और मृदुला 1993 में कॉलेज के समय एक शादी में मिले थे। दोनों साल 2004 में शादी के बंधन में बंध गए और 2006 में उनकी बेटी हुई, जिसका नाम आशी त्रिपाठी है।

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