पांच सीटों पर चुनाव लड़ने वाली आजसू आगामी राज्य सरकार का खाका तैयार कर रही : झामुमो
रांची, 09 सितंबर । झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आजसू पार्टी पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने आजसू का नाम लिये बिना कहा कि पिछले चुनाव में एक पार्टी मात्र दो सीटों पर सिमटकर रह गयी थी। क्योंकि, ये पार्टी जिस बैसाखी के सहारे चुनाव में उतरी थी, उसने इनके साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया था।
सुप्रियो भट्टाचार्य सोमवार को हरमू स्थित पार्टी कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस पार्टी ने गत 8 सितंबर को युवा वर्ग को मूल मुद्दे से हटाने के लिए युवाओं का जुटान किया। उन्होंने कहा कि इस सभा में जो बातें हुई, उसे हमने ध्यान से सुना और देखा। इसमें राज्य और देश की विकास दर की बात की गयी। कहा गया कि विकास दर रोजगार से जुड़ा है। इसी तरह की बातें की गयीं, जिनका आज की स्थिति से कोई मतलब नहीं है।
सुप्रियो ने कहा कि गांव की पार्टी कही जाने वाली ये पार्टी आजसू भाजपा से सीटें मांग रही हैं। उन्होंने कहा कि ये बातें उनको भाजपा के ही एक नेता ने बताईं। उन्होंने कहा कि भाजपा के चुनाव प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री आजकल असम में कम और झारखंड में अधिक रहते हैं। वे आजसू के साथ चुनाव लड़ेंगे, तो जो चार या पांच सीट पर चुनाव लड़ेगा, वो पार्टी आगामी राज्य सरकार का खाका तैयार कर रही है। उन्होंने कहा इस पार्टी की हकीकत भी लोग जान चुके हैं। इसलिए 15 सितंबर को पीएम मोदी आ रहे हैं। इनको खुद पर भरोसा नहीं है। इसके बाद भाजपा के और भी नेताओं को झारखंड बुलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि आश्चर्य इस बात होता है कि जो पार्टी आगामी सरकार का खाका खींच रही है, वो चार या पांच सीट पर चुनाव लड़ेगी।
सुप्रियो ने भाजपा और आजसू से सवाल किया कि आप हेमंत सरकार से इतना डरते क्यों हैं। उन्होंने कहा उनकी मूल समस्या ये है कि इनके पास यहां चुनाव लड़ने के लिए मुद्दा नहीं है। समाज के हर तबके के लिए हेमंत सरकार ने जो योजनाएं शुरू की हैं, अब ये उनसे भी डरने लगे। उन्होंने कहा कि आपको याद होगा कि जो मधु कोड़ा आज भाजपा में चले गये हैं, उनकी सरकार में आजसू का एक मंत्री था। पार्टी के दो विधायक थे और दूसरा विधायक विपक्ष में था। इसका मतलब है कहीं से अवसर को छोड़ना नहीं है। उन्होंने कहा कि हम ये बात बार-बार कहते हैं कि एक पॉलिटिकल बार्गेन हो, बहस हो लेकिन ये लोग पॉलिटिकल पैरासाइट यानी परजीवी हैं। ये लोग दूसरे के सहारे चुनाव लड़ना चाहते हैं और राजनीति करना चाहते हैं।