ईवीएम सत्यापन के लिए नीति बनाने की मांग वाली याचिका पर दूसरी बेंच करेगी सुनवाई, सीजेआई खन्ना का निर्देश
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के सत्यापन के लिए नीति बनाने की मांग वाली याचिका पर अगले साल जनवरी में जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर हरियाणा के पूर्व मंत्री और पांच बार के विधायक करण सिंह दलाल और लखन कुमार सिंगला की नई याचिका पर जस्टिस दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ 20 जनवरी, 2025 से सुनवाई करेगी।
चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि इसी तरह की याचिकाएं पहले भी खारिज की जा चुकी हैं। इससे पहले 13 दिसंबर को जस्टिस विक्रम नाथ और पी बी वराले की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा था कि इसे उसी पीठ को सुनने दिया जाए जिसने इसी तरह की याचिकाओं पर सुनवाई की है। अब इसे सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है। 26 अप्रैल को अपने फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने ईवीएम में हेराफेरी के संदेह को ‘निराधार’ करार दिया था।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने चुनाव परिणामों में दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले असफल उम्मीदवारों के लिए एक रास्ता खोल दिया और उन्हें चुनाव पैनल को शुल्क का भुगतान करके लिखित अनुरोध पर प्रति विधानसभा क्षेत्र में पांच प्रतिशत ईवीएम में लगे माइक्रोकंट्रोलर चिप्स के सत्यापन की मांग करने की अनुमति दी थी। दलाल और सिंगला की नई याचिका में ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ के मामले में शीर्ष अदालत के 26 अप्रैल के फैसले का अनुपालन करने की मांग की गई है। दलाल और सिंगला ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में दूसरे सबसे अधिक वोट प्राप्त किए और चुनाव आयोग (ईसी) को ईवीएम के चार घटकों – कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट, वीवीपीएटी और सिंबल लोडिंग यूनिट की मूल “बर्न मेमोरी” या माइक्रोकंट्रोलर की जांच के लिए एक प्रोटोकॉल लागू करने का निर्देश देने की मांग की।