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बिहार स्टेट हेल्थ सर्विसेज के खिलाफ एक और याचिका हाई कोर्ट में

पटना। बिहार की पैथोलॉजी सेवाओं पर विवादों का बड़ा असर सामने आने लगा है। बिहार स्टेट हेल्थ सर्विसेज (बीएसएचएस) द्वारा खोले गए टेंडर को लेकर इतने विवाद पैदा हो गए हैं कि यह कहना मुश्किल है कि बिहार की जनता को आगे पैथोलॉजी जांच की स्तरीय सुविधा मिलेगी कि नहीं। एक तरफ तो बीएसएचएस ने हिंदुस्तान वेलनेस नाम की कंपनी को टेंडर में विजेता घोषित कर दिया है और दूसरी तरफ बिड में पहले नंबर पर आई कंपनी साइंस हाउस ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उल्लेखनीय है कि इसी मामले में एक और याचिका हाई कोर्ट में लगाई गई है, जिसमें टेंडर प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी का आरोप लगाकर इस टेंडर को रद्द करने की मांग की गई है।

हास्यादबाद बात यह है कि अभी तक विभाग यह तय नहीं कर पाया है कि आखिर कौन सी कंपनी बिहार के मरीजों को पैथोलॉजी जांच की सुविधा देगी। एक तरफ बिहार की 13 करोड़ जनता के स्वास्थ्य का मामला है और दूसरी तरफ बीएसएचएस के विवाद। हालांकि पब्लिक प्राइवेट जॉइन्ट वेंचर के जरिए पिछले पांच साल से लोगों को अस्पताल में ही पैथोलॉजी जांच की सुविधा मिल रही थी, लेकिन बिहार स्वास्थ्य विभाग ने इसे निजी लैब के हवाले करने का फैसला किया और उसी के आधार पर टेंडर निकाला गया। इस समय भी पब्लिक प्राइवेट जॉइन्ट वेंचर में शामिल कंपनी ही पैथोलॉजी जांच का जिम्मा उठा रही है, लेकिन इस वेंचर में शामिल कंपनी भी दुविधा में है कि उससे सरकार आगे काम लेगी या नहीं। अभी तक बीएसएचएस ने हिंदुस्तान वेलनेस के साथ कोई एग्रीमेंट किया है कि नहीं, यह सार्वजनिक नहीं हो पाया है।

उल्लेखनीय है कि 23 अक्टूबर 2024 जब वित्तीय बिड खोली जा रही थीं, तो भाग लेने वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों ने विभिन्न स्थानों पर साइंस हाउस द्वारा उद्धृत अलग-अलग दरों को देखा और उस पर आपत्ति दर्ज कराई। अब साइंस हाउस का कहना है कि बीएसएचएस ने इसे गलत ढंग से पढ़ा और उन्हें स्पष्टीकरण का अवसर दिए बिना ही बाहर कर दिया गया, जबकि उसने सरकार को पैथोलॉजी जांच के इस टेंडर में 77 प्रतिशत से अधिक का डिस्काउंट देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन बीएसएचएस ने दूसरे स्थान पर रही हिंदुस्तान वेलनेस को विजेता घोषित कर दिया। साइंस हाउस ने इस पूरे मामले से मुख्यमंत्री को अवगत कराने के लिए उन्हें पत्र लिखा है और अपने दावे को लेकर पटना हाई कोर्ट पहुंच गई है। साइंस हाउस ने पटना हाई कोर्ट से इस पर तत्काल सुनवाई की मांग की है।

याचिकाकर्ता ने पूरी टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाया है और कहा है कि एक विशिष्ट कंपनी के पक्ष में इस टेंडर को करने के लिए अधिकारियों ने नियमों को पूरी तरह नजरअंदाज किया है। कंपनी का कहना है कि बीएसएचएस ने टेंडर में उद्धृत दरों में विसंगति का गलत उदाहरण दिया है। बिना उनसे कोई जवाब लिए एल1 कंपनी को अयोग्य ठहराने का यह फैसला एकदम गलत है। एल2 कंपनी हिंदुस्तान वेलनेस उसकी शर्तों और रेट पर टेंडर जारी करना नियमों का उल्लंघन है। बिहार के वित्तीय नियमों में उल्लिखित पात्रता मानदंडों के यह खिलाफ है। यह सीधे तौर पर बिहार भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए प्रदान की जाने वाली पैथोलॉजी सेवाओं की गुणवत्ता से समझौता करता है।

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