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1700 करोड़ रुपए के स्वच्छ पौध कार्यक्रम को स्वीकृति

नयी दिल्ली 09 अगस्त : बागवानी के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार ने 1700 करोड रुपए के निवेश के साथ स्वच्छ पौध कार्यक्रम (सीपीपी) को स्वीकृति दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार देर शाम यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।

बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि महत्वाकांक्षी स्वच्छ पौध कार्यक्रम देश में बागवानी क्षेत्र में क्रांति लाएगा। उन्होंने कहा कि 1,765.67 करोड़ रुपये के निवेश के साथ यह कार्यक्रम देश में बागवानी क्षेत्र को एक नई दिशा देगा। इससे उत्कृष्टता के नए मानक स्थापित होने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि पूरे भारत में नौ विश्व स्तरीय अत्याधुनिक स्वच्छ पौध केंद्र (सीपीसी) स्थापित किए जाएंगे।

इनमें अंगूर (एनआरसी, पुणे), शीतोष्ण फल – सेब, बादाम, अखरोट आदि (सीआईटीएच, श्रीनगर और मुक्तेश्वर), खट्टे फल (सीसीआरआई, नागपुर और सीआईएएच, बीकानेर), आम, अमरूद, एवाकाडो (आईआईएचआर, बेंगलुरु), आम,अमरूद, लीची (सीआईएसएच, लखनऊ), अनार (एनआरसी, शोलापुर) और पूर्वी भारत में उष्णकटिबंधीय, उप-उष्णकटिबंधीय फल शामिल हैं।

कार्यक्रम को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए बीज अधिनियम 1966 के तहत एक नियामक ढांचा बनाया जाएगा‌ जिसके अंतर्गत प्रमाण पत्र जारी होंगे।

यह कार्यक्रम राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से लागू किया जाएगा।

श्री वैष्णव ने कहा कि सीपीपी की घोषणा फरवरी 2023 में वित्त मंत्री ने बजट भाषण में की थी। सीपीपी पूरे देश में फलों की फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वच्छ पौध कार्यक्रम से किसान को वायरस मुक्त, उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री तक पहुंच प्रदान की जा सकेगी

जिससे फसल की पैदावार बढ़ेगी और आय के अवसरों में वृद्धि होगी। इस कार्यक्रम में पौधा नर्सरी में सुधार किया जाएगा जिससे उपभोक्ताओं को गुणवत्ताएं युक्त उत्पादन में सकेंगे। इसके अलावा भारतीय कृषि उपज को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी स्थापित किया जा सकेगा।

उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम सभी किसानों के लिए स्वच्छ पौध सामग्री तक किफायती पहुंच को प्राथमिकता देगा।

कार्यक्रम की योजना और कार्यान्वयन में महिला किसानों को सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा, जिससे संसाधनों, प्रशिक्षण और निर्णय लेने के अवसरों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित होगी।

श्री वैष्णव ने कहा कि यह कार्यक्रम क्षेत्र-विशिष्ट स्वच्छ पौधों की किस्मों और प्रौद्योगिकियों को विकसित करके देशभर में विविध कृषि-जलवायु स्थितियों में होगा।

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