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झारखंड में विस चुनाव नजदीक आते ही नई-नई योजनाएं लाकर आधी आबादी को लुभा रहीं राजनीतिक पार्टियां

रांची, 13 अक्टूबर । झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा अब कभी भी हाे सकती है। संभावना है कि जल्द ही चुनावी बिगुल बज जाएगा। ऐसे में शिलान्यास और उद्घाटन का दौर शुरू हो गया है। चल रही योजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन में सत्ता पक्ष जहां मुखर है, वहीं विपक्ष भी पीछे नहीं है लेकिन झारखंड में अलग हवा बह रही है। यहां वेलफेयर स्कीम की बाढ़ आई हुई है।

सभी दलों को आधी आबादी की चिंता सता रही है। बुजुर्ग, विधवा, दिव्यांगों के सामाजिक सुरक्षा की दुहाई दी जा रही है. राज्य सरकार की तरफ से खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह बीड़ा उठा लिया है। चुनाव प्रचार की रफ्तार में फिलहाल हेमंत सोरेन सबसे आगे दिख रहे हैं। हर वोटर तक पहुंचने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे हैं। वॉइस मैसेज के जरिए जनता से संपर्क साध रहे हैं। यह सिलसिला नवरात्रि के दौरान ही शुरू हो गया था।

झारखंड की सियासत में महिलाओं की अधिक पूछ हो रही। उनके मान, सम्मान की चिंता सियासी तौर पर खूब दिख रही है। विधानसभा चुनाव को लेकर यहां कभी भी आदर्श आचार संहिता लागू हो सकती है। ऐसे में पक्ष हो या विपक्ष, सभी महिला वोटर्स का भरोसा जीतने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं। हालांकि, सब अपने-अपने स्तर से इसे ‘महिला सम्मान’ से जोड़कर बता रहे हैं। राज्य सरकार ने अगस्त 2024 से मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना शुरू की है। 18 वर्ष से 50 वर्ष तक की महिलाओं को हर माह 1000 रुपए की राशि दी जा रही।

सरकार की इस पहल के जवाब में भाजपा गोगो दीदी सम्मान योजना लेकर लाई है। वह इसके जरिए हर महीने सभी महिलाओं, बेटियों को 2100 रुपये देने का भरोसा दिला रही है। इधर, भाजपा की इस पहल को देख सत्तारूढ झामुमो ने जेएमएम सम्मान योजना लाने की घोषणा की है। महिलाओं को हर साल 30 हजार रुपए देने का आश्वासन उसकी ओर से है। इसे लागू करने को लेकर वह निर्वाचन आयोग से परमिशन के इंतजार में है।

हालांकि, 2019 से अभी तक, मंईयां सम्मान की बात कहीं नहीं थी। यह सत्तारूढ दलों के घोषणा पत्र में भी नहीं था। अगस्त 2024 में राज्य सरकार ने रक्षाबंधन के मौके पर महिलाओं, लड़कियों को सम्मान देने, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर करने का उद्देश्य दिखाते मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान स्कीम शुरू करने की पहल की। अगस्त 2024 से अबतक इस योजना से तीन किस्त की राशि 40 लाख से अधिक महिलाओं के खाते में डालने की बात कही जा रही। इस योजना को रिस्पॉन्स मिलते देख भाजपा ने अपने घोषणापत्र में महिला सशक्तिकरण को प्रमुखता देते गोगो दीदी स्कीम की तैयारी शुरू कर दी है।

भाजपा लीडर और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का दावा है कि यह योजना राज्य में भाजपा की सरकार बनने पर लागू की जाएगी। राज्य की हर गरीब परिवार की महिला और बेटियों को इसका लाभ मिलेगा। इस योजना के तहत 18-60 आयु वर्ग की महिलाओं को सालभर में 25,000 रुपये मिलेंगे। इसे लेकर राज्य सरकार और झामुमो की आपत्तियों के बावजूद भाजपा की ओर से फॉर्म भरवाने का अभियान जारी है। मुख्यमंत्री हेमंत साेरेन ने इस योजना का फॉर्म भरवाने वालों के खिलाफ रिश्वतखोरी का केस दर्ज करने का निर्देश सभी जिलों के डीसी को दिया है जबकि झामुमो ने चुनाव आयोग से इसे रोकने की मांग की है।

फिलहाल, पांच अक्टूबर से प्रदेश भाजपा की ओर से गोगो दीदी योजना का फॉर्म भराने को करीब 29 हजार बूथों पर अभियान चलाया जा रहा है। अबतक 25 लाख से अधिक फॉर्म भरवा लिए जाने की सूचना है। इधर, झामुमो ने आयोग से गोगो दीदी योजना को लेकर शिकायत करने के साथ ही झामुमो सम्मान योजना का लाभ देने के लिए आयोग से इजाजत मांगी है। उसने कहा है कि यदि भाजपा की ओर से गोगो दीदी योजना का फॉर्म भराया जाना सही है तो वह भी जेएमएम सम्मान योजना का आवेदन लोगों से कराएगा। इसके तहत हर माताओं-बहनों को हर साल 30 हजार रुपये दिए जाएंगे।

झारखंड निर्वाचन आयोग से प्राप्त सूचना के अनुसार, राज्य में कुल मतदाता की संख्या 2,55,18,642 हैं। इसमें पुरुष मतदाता की संख्या 1,29,97,325 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1,25,20,910 है। राज्य में चुनाव के दौरान महिलाओं की सहभागिता बढ़ी है और वो निर्णायक भी साबित होती रही हैं। ट्राइबल के लिए 28 रिजर्व सीटों में से 10 सीट तो ऐसी हैं, जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से भी ज्यादा है।

कोल्हान के मझगांव में महिला मतदाता की संख्या लगभग 51 प्रतिशत है। लिट्टीपाड़ा (संथाल परगना) में भी महिलाओं की संख्या पुरुष से ज्यादा है। चाईबासा में 50.62 प्रतिशत, खूंटी में 50.44 प्रतिशत, शिकारीपाड़ा में 50.22 प्रतिशत, सिमडेगा 50.21 प्रतिशत, महेशपुर में 50.09 प्रतिशत, खरसवां 50.08 प्रतिशत, मनोहरपुर 50.07 प्रतिशत और घाटशिला में 50.01 प्रतिशत है। इस तरह से महिला मतदाताओं के आंकड़ों से साफ है कि राजनीतिक पार्टियां महिला मतदाताओं को अपने पक्ष में कर-कर सत्ता की चाबी हासिल करना चाहती हैं।

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