बाबूलाल ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, जेएससीए चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष कराने की मांग
रांची, 12 मई । भारतीय जनता पार्टी केे प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) के चुनाव में प्रशासनिक प्रभाव एवं हस्तक्षेप को रोकने और पारदर्शी तथा निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की है। पत्र में कहा है कि जेएससीए का चुनाव 18 मई को प्रस्तावित है, जिसके लिए 12 और 13 मई को नामांकन तथा 14 मई को नाम वापसी की तिथि निर्धारित है। लेकिन सूचनाओं से स्पष्ट हो रहा है कि यह चुनाव एक खेल संघ का चुनाव न होकर प्रशासनिक पद के दुरुपयोग का रूप लेता जा रहा है।
अधिकारी चुनाव प्रचार के लिए खुलेआम घूम रहे
उन्होंने कहा कि सरकारी सेवा में लगे अधिकारी चुनाव प्रचार के लिए खुलेआम घूम रहे हैं। प्रशासनिक तंत्र का खुले तौर पर दुरुपयोग कर रहे हैं। ये सरकारी अधिकारी अपने पद, प्रभाव एवं सुविधाओं का इस्तेमाल कर मतदाताओं को प्रभावित कर रहे हैं, जो पूर्ण रूप से अवैध, अनैतिक और अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा कि जेएससीए राज्य का एक प्रतिष्ठित खेल संगठन है और इसकी साख को बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। यदि अभी हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो झारखंड क्रिकेट की पहचान और गुणवत्ता दोनों पर खतरा मंडराने लगेगा।
पूर्व में भी सत्ता का हुआ था दुरुपयोग
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पूर्व में भी जेएससीए के चुनावों में सत्ता का दुरुपयोग होता रहा है, जिसके कारण चयन प्रक्रिया में भाई-भतीजावाद, जातिवाद और क्षेत्रवाद को बढ़ावा मिला है। इसका सीधा प्रभाव राज्य के योग्य एवं मेहनती खिलाड़ियों के अवसरों पर पड़ा है, जिससे वे हतोत्साहित एवं निराश हुए हैं। जेएससीए के चुनाव में ऐसे लोगों के कब्जे से यह भी देखा गया है कि एसोसिएशन की संपत्ति और संसाधनों का मनमाने ढंग से दुरुपयोग होता है। अपने प्रभाव से ये लोग वर्षों तक पदों पर बने रहते हैं और अपने चहेते लोगों को सदस्य बनाकर संगठन को भ्रष्टाचार का केंद्र बना देते हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से ये किया है आग्रह
-चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के सरकारी हस्तक्षेप, पद प्रभाव एवं सरकारी सुविधा के दुरुपयोग को अविलंब रोका जाए।
-ऐसे सरकारी अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए जो चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
-मतदान के दिन कानून-व्यवस्था कड़ी की जाए, ताकि सदस्य निर्भीक होकर मतदान कर सकें।
-चुनाव आयोग या किसी स्वतंत्र संस्था की निगरानी में यह चुनाव सम्पन्न कराया जाए, ताकि इसकी निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।