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गुरु के बताए मार्ग पर चलने से मिलती है संसारिक दु:खों से ​मुक्ति : स्वामी लक्ष्मणजी महाराज

खूंटी,30 मार्च । महर्षि मेंही आश्रम मलियादा और शांतिपुरी में नव संवत्सर पर रविवार को विशेष सत्संग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों ने सदगुरुदेव भगवान के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। उपस्थित संतों ने सभी के लिए मंगलकामना की तथा जीवन को शास्त्रों में वर्णित विधि से परमात्मा की भक्ति और सद्कर्म करने की बातें कही।

स्वामी लक्ष्मणजी महाराज ने कहा कि परमात्मा के धाम में जाने के लिए पुण्य कर्म करते रहना चाहिए। संसारिक दुःख से बचने और जन्म मरण के छुटकारा के लिए, परमधाम के लिए गुरु के बताए मार्ग पर चलकर भक्ति करनी चाहिए।

बद्रीनाथ धाम के स्वामी वैष्णवानंदजी महाराज ने कहा कि नव संवत्सर सभी के जीवन को प्रकाशवान करे। इसमें हम नवरात्र पूजन करते हैं, छठ पूजन सहित श्रीरामनवमी मनाते हैं। सात्विक भाव में रहते हैं। यही भाव हमेशा रहेगा, तभी सही मायने में कल्याण संभव है। सद्गुरु का बताया मार्ग ही जीवन को सुधार सकता है। उन्होंने अंगुलीमाल डाकू के विषय मे बताया कि भगवान बुद्ध से मिलने के बाद उसकी प्रवृत्ति एकदम बदल गई और भक्ति मार्ग अपना कर संत बन गए। कहा कि किसी की निंदा करने से बचें, बल्कि निंदक को पास रखिए, इससे आप अपने को सुधार करें।

ऋषिकेश आश्रम के स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज ने कहा कि सत्संग से दोष-कलंक मिट जाता है। उन्होंने कहा कि रावण, कुंभकर्ण, हिरण्यकशिपु को भगवान का दर्शन करने तथा उनके हाथ से मरने पर बैकुंठ तो मिल गया, लेकिन कलंक अपकीर्ति और तिरस्कार मिलता है। सद्गुरु की भक्ति से हमेशा सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरणा मिलती है। संतो-भक्तों से सीख लेनी चाहिए। कार्यक्रम में रांची, नगड़ी, बंदगांव सहित आसपास के लोग उपस्थित थे। नगड़ी के सत्संगी द्वारा भंडारे की व्यवस्था थी।

इस मौके पर लोदरो बाबा, सुखदेव मुनि, डॉ डीएन तिवारी, दिगंबर दास, सरजू केशरी, मुचीराय मुंडा, चमरा मुंडा, संजय कुमार, मंगल मुंडा, कांडे मुंडा, हरि मुंडा, सुबोध कुमार, देवमन पूर्ति, जगमोहन पूर्ति, हरि मुंडा, रासबिहारी मुंडा आदि उपस्थित थे।

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