Catholic Church : रांची कैथोलिक चर्च के विश्वासी आज मनायेंगे विरोध दिवस
- स्टेन स्वामी झूठ नहीं बोल सकते, सत्य की होगी जीत : बिशप मसकरेंहास
Insightonlinenews Team
रांची। सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी के विरोध में रांची कैथोलिक चर्च के विश्वासी शुक्रवार को विरोध दिवस मनायेंगे। कोविड-19 के कारण प्रोटोकॉल और सलाह का पूरी तरह से अनुपालन करते हुए विरोध किया जायेगा। यह विरोध मोमबत्ती जलाकर किया जायेगा। कैथेड्रल में एक-एक आकर मोमबत्तियां जलाकर प्रार्थना करेंगे। यह जानकारी स्टेन स्वामी की एनआइए द्वारा गिरफ्तारी को लेकर एक्सआइएसएस में आयोजित प्रेसवार्ता में दी गयी।
प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए बिशप थियोदोर मसकरेंहास ने कहा कि जिन्होंने अपना पूरा जीवन सेवा में लगा दिया, खासकर आदिवासियों, दलितों,और समाज के हाशिये के लोगों की। उन्हें इस तरह से गिरफ्तार करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्हें धोखे में रखकर एनआइए ने रात में पूछ-ताछ के बहाने बुलाया था,लेकिन वास्तव में गिरफ्तार किया गया और अगले दिन ही मुंबई में रिमांड पर मुंबई भेजा गया। वहां अन्य कैदियों के साथ सलाखें के पीछे डाल दिया गया। अभी कोविड-19 महामारी के दौर में इतने उम्र दराज के बुजुर्ग को रखना काफी खतरनाक है।
बिशप ने बताया कि वॉश-रूम जाने के दौरान में फादर स्टेन स्वामी गिर भी गये थे। उन्होंने सवाल किया कि हमारा लोकतंत्र कहां जा रहा है। आखिर रांची में ही एनआइए अदालत के समक्ष क्यों पेश नहीं किया गया। बिशप ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है। बिशप ने कहा कि स्टेन स्वामी की रिहाई के लिए सभी कानूनी उपाय करेंगे। हमें विश्वास है कि स्टेन स्वामी कभी झूठ नहीं बोलेंगे। वे बताते थे कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। सत्य की जीत होगी और वे रिहा होंगे।
फादर जोसेफ मरियानुस कुजूर ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी केवल संदिग्ध अभियुक्त थे, दोषी नहीं। उन्होंने विश्वास जताया कि अंतत: स्टेन स्वामी आरोपों से बरी होकर वापस आयेंगे। वे हाशिये के लोगों की आवाज उठाते थे। तमिलनाडु के रहते हुए उन्होंने झारखंड में 63 वर्ष बिताये हैं। गत 50 वर्षों से अधिक समय से हाशिए पर खड़े लोगों के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहे हैं। उन्होंने भारतीय संविधान को मजबूत किया है, उसे जीया है। स्टेन स्वामी एक शोधकर्ता थे और यह उनका काम था कि वे जीवन की वास्तविकताओं को सामने लाएं और उन लोगों की मदद करें जिनकी उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत थी। उनका अध्ययन उन लोगों की मदद करना है, जिनका कोई कसूर नहीं है लेकिन झारखंड के विभिन्न जेलों में बंद थे। उन्होंने जीवन भर जो कुछ भी किया, कभी उस पर उंगली उठाने का अवसर नहीं आया। फादर पीटर मार्टिन ने धन्यवाद ज्ञापन किया।