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मुख्यमंत्री पेसा कानून काे जल्द लागू कराएं : राज्यपाल

रांची, 9 अगस्त । राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि आदिवासी समुदाय की संस्कृति पर हम सभी को गर्व होना चाहिए और उसे संरक्षित रखने का संकल्प लेना चाहिए। जनजातीय समुदाय के पारंपरिक शासन व्यवस्था को झारखंड में लागू किया जाना आवश्यक है। देश में झारखंड एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां अनुसूचित क्षेत्रों तक पंचायत विस्तार (पेसा) कानून लागू नहीं है। उन्हाेंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पेसा कानून काे जल्द लागू कराने का आग्रह किया। राज्यपाल शुक्रवार काे विश्व आदिवासी दिवस पर राजधानी रांची के बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में आयाेजित महोत्सव में बाेल रहे थे।

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा केवल झारखंड के ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने अपने अल्पायु में ही इतिहास रच दिया और मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को पूरे देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।

आदिवासी समुदाय का रहा है गौरवशाली इतिहास

राज्यपाल ने कहा कि झारखंड की धरती वीरों की भूमि रही है। यहां की माटी में जन्मे बीर बुधु भगत, सिद्धो-कान्हु, चांद-भैरव, फूलो-झानो और जतरा उरांव जैसे महान सपूतों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। हमारे जनजातीय समुदाय का इतिहास गौरवशाली रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका अद्वितीय रही है। जनजातियों द्वारा संरक्षित कला, संस्कृति, लोक साहित्य और रीति-रिवाज न केवल हमारे देश, बल्कि विश्वभर में ख्यातिप्राप्त हैं। उनका पर्यावरणीय ज्ञान और प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व का दृष्टिकोण हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।

झारखंड में रहती हैं 32 जनजातियां

राज्यपाल ने कहा कि झारखंड की सवा तीन करोड़ से अधिक की जनसंख्या में करीब 27 फीसदी आदिवासी समुदाय हैं। 32 अनुसूचित जनजातियां यहां रहती हैं। यह समाज हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं, जिन्होंने अपनी विशिष्ट पहचान और संस्कृति के माध्यम से हमारे देश की विविधता को और भी समृद्ध किया है। आज भी हमारे आदिवासी समुदाय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर हमें और अधिक काम करने की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे आदिवासी भाई-बहनों को सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिले और वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें।

उच्च शिक्षा हासिल कर बनें प्रेरणास्त्रोत

राज्यपाल ने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि हमारे आदिवासी समुदाय के कई लोगों ने विषम परिस्थितियों में भी शिक्षा ग्रहण की है। हमारे देश की राष्ट्रपति और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने भी विषम परिस्थितियों में उच्च शिक्षा प्राप्त की और वे अपने गांव की पहली महिला बनीं जिन्होंने कॉलेज में प्रवेश लिया। वे सभी के लिए प्रेरणा हैं। आज हमारे पास पहले से बेहतर शिक्षा का माहौल है। इसलिए अधिक से अधिक लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करें और समाज में अपने कार्यों से प्रेरणास्रोत बनकर उभरें।

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