विधायी प्रारूपण में स्पष्टता बेहद जरूरी : अमित शाह
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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि विधायी प्रारूपण में स्पष्टता बहुत जरूरी है। विधायी प्रारूपण एक कौशल है। इसके कोई स्थायी नियम नहीं है। यह हमारे लोकतंत्र का महत्वपूर्ण अंग है। ऐसे में विधायी प्रारूपण तैयार करने वाले लोगों को समय-समय प्रशिक्षित करते रहना चाहिए।
शाह ने सोमवार को संसद भवन परिसर में संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान की ओर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विधायी प्रारूपण के सिद्धांतों और प्रथाओं की समझ संसद, राज्य विधानसभाओं, विभिन्न मंत्रालयों, वैधानिक निकायों और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों को होनी चाहिए। जो भी इन संस्थानों में विधायी प्रारूपण तैयार करते हैं उन्हें ध्यान देना चाहिए की वह किसी भी कानून का अनुवाद करने के बजाय भावानुवाद करें। जिससे मूल बात बदलने न पाए। उन्होंने कहा कि विधायी ड्राफ्टमैन को भाषा पर पकड़ होना चाहिए और मुद्दे को सरल भाषा में लिखने की कला आनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि शाह ने यहां विधायी प्रारूपण पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम का आयोजन संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान (आईसीपीएस) की ओर से लोकतंत्र के लिए संसदीय अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) के सहयोग से किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में राज्यों, केन्द्रीय मंत्रालयों आदि के विधायी प्रारूप से जुड़े अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य संसद, राज्य विधानसभाओं, विभिन्न मंत्रालयों, वैधानिक निकायों और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों के बीच विधायी प्रारूपण के सिद्धांतों और प्रथाओं की समझ पैदा करना है।