गहरे संकट में आ गई हैं संवैधानिक संस्थाएं : कांग्रेस

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नयी दिल्ली। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि देश इस समय संवैधानिक संकट से जूझ रहा है और संसद तथा अन्य संवैधानिक संस्थाओं के समक्ष मौजूदा समय में जो चुनौतियां हैं पहले कभी इस तरह की स्थिति नहीं आई है।

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा,‘‘ देश के भीतर दो विचारधाराओं की लड़ाई चल रही है। स्थिति यह बन गई है कि इस समय सरकार ही खुद संसद नहीं चलने दे रही है, इसलिए यह बड़ा सैद्धांतिक विषय उभरकर आया है कि आखिर हम किस दिशा की तरफ बढ रहे हैं।”

श्री शर्मा ने कहा, “शायद आजादी के बाद हर संस्था,जो देश के संवैधानिक व्यवस्था पर विश्वास रखती है, उसके सामने कभी इतनी बड़ी चुनौती नहीं आई। संसद में जहां चर्चा होती थी, विपक्ष के सवाल होते थे, सरकार जवाब देती थी वह परंपरा टूट चुकी है। संसद चले यह सरकार की जिम्मेदारी होती है और लोगों की भी अपेक्षा यही होती है कि सरकार संसद चलाए। विपक्ष की जिम्मेदारी होती है कि वह सरकार की जिम्मेदारी तय करे लेकिन यहां तो सत्ता पक्ष ही संसद की कार्यवाही में बाधा डालने का काम कर रहा है।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकतंत्र को भव्य इमारत बनाने से नहीं बल्कि संसदीय परंपराओं का पालन करके ही संसद को जिंदा रखा जा सकता है। लोकतंत्र में जहां स्वच्छंद रूप से चर्चा करने और अपनी बात कहने की जगह थी वह सिकुड़ती जा रही है। केवल बड़ी इमारत खड़ी कर देने से प्रजातंत्र मजबूत नहीं होता।

उन्होंने कहा, “देश में पिछले और इस वर्ष भी बेरोजगारी का आकंडा बढ़ रहा है और युवा बेरोजगारों की संख्या 42 प्रतिशत पहुंच गई है लेकिन इस बारे में कोई चर्चा नहीं होती है। मार्च में कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में 95 लाख रोजगार घट गया। औद्योगिक सेक्टर में लगभग 72 लाख रोजगार घटा। रिटेल सेक्टर में करीब 65 लाख रोजगार कम हुए। मार्च में बेरोजगारी दर का आंकड़ा हम सबने देखा लेकिन अब सवाल है कि सरकार ने क्या कदम उठाए।”

प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर जो फैसला आया है और उस पर सरकार ने जिस तरह से कार्रवाई की है यदि यही पैमाना सब पर लागू हो तो संसद खाली हो जाएगी और ज्यादा लोग संसद से बाहर होंगे। उनका कहना था कि पहले भी जेपीसी बनी है और वर्ष 1992 के बाद कई बार जेपीसी का गठन हुआ है इसलिए इस बार भी सरकार को जेपीसी का गठन करना चाहिए।

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