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डीबीटी योजना से 3.48 लाख करोड़ रुपये की हुई बचत: वित्त मंत्रालय

नई दिल्ली, 21 अप्रैल । भारत की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रणाली ने कल्याण वितरण में लीकेज को रोककर देश को 3.48 लाख करोड़ रुपये की संचयी बचत हासिल करने में मदद की है। एक रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि डीबीटी के कार्यान्वयन के बाद से सब्सिडी आवंटन कुल सरकारी व्यय के 16 फीसदी से घटकर 9 फीसदी रह गया है, जो सार्वजनिक व्यय की दक्षता में एक बड़ा सुधार दर्शाता है।

वित्त मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक बयान में बताया कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के एक नए मात्रात्मक मूल्यांकन के अनुसार यह मूल्यांकन बजटीय दक्षता, सब्सिडी युक्तिकरण और सामाजिक परिणामों पर डीबीटी के प्रभाव की जांच करने के लिए वर्ष 2009 से 2024 तक के आंकड़ों का मूल्यांकन करता है। वर्ष 2013 में शुरू की गई भारत की डीबीटी प्रणाली ने देश की कल्याणकारी योजनाओं को नया स्वरूप दिया है, जिसने दक्षता और समावेशिता के लिए वैश्विक मानक स्थापित किया है।

मंत्रालय के मुताबिक यह दर्शाता है कि कागज-आधारित वितरण से सीधे डिजिटल हस्तांतरण में बदलाव ने यह सुनिश्चित किया है कि सार्वजनिक धन उन लोगों तक पहुंचे जिनके लिए वे हैं। डीबीटी की प्रमुख विशेषताओं में से एक जेएएम ट्रिनिटी का उपयोग है, जिसका अर्थ है जन-धन बैंक खाते, आधार विशिष्ट आईडी नंबर और मोबाइल फोन। इस ढांचे ने बड़े पैमाने पर लक्षित और पारदर्शी हस्तांतरण को सक्षम किया है।

उल्‍लेखनीय है कि भारत में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) प्रणाली कल्याणकारी योजनाओं के लिए दक्षता को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रणाली लाभार्थियों को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए आधार कार्ड और बैंक खातों का उपयोग करती है, जिससे बीच के लोगों को खत्म करके पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है।

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