युद्ध की विभीषिका झेल रहे रूस, यूक्रेन और नाइजीरिया के श्रद्धालुओं ने गया के विष्णुपद देवघाट में किया पिंडदान व तर्पण
गया। गया जी के पवित्र भूमि पर पितृपक्ष मेला 2024 के दौरान देश-विदेश के श्रद्धालुओं द्वारा अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करने का सिलसिला जारी है।
इस आयोजन में रूस, यूक्रेन, कजाकिस्तान और नाइजीरिया जैसे देशों के 15 श्रद्धालुओं ने विष्णुपद मंदिर स्थित फल्गु नदी के तट पर विधिवत रूप से तीन दिवसीय पिंडदान और तर्पण कर्मकांड संपन्न किया। विशेष रूप से, युद्धग्रस्त देशों से आए इन श्रद्धालुओं की आस्था और भारतीय संस्कृति के प्रति श्रद्धा देखने लायक थी।
इस अवसर पर गया जी के पुरोहित लोकनाथ गौड़ ने इन विदेशी श्रद्धालुओं को विधिपूर्वक पिंडदान की प्रक्रिया संपन्न करवाई। उन्होंने बताया कि विभिन्न धर्मों से जुड़े लोग भारतीय संस्कृति की ओर खिंचते हुए अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर रहे हैं।
रूस की श्रद्धालु श्वेतलाना, जिनकी माता ने छत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी, अपने माता के निमित्त पिंडदान करते समय नम आंखों से रो रही थीं। उनके साथ ही अन्य विदेशी श्रद्धालुओं ने भी माता, पिता, पति और बच्चों के लिए पिंडदान किया, इस उम्मीद के साथ कि उनके परिजन मोक्ष प्राप्त करें।
यह घटनाक्रम भारतीय संस्कृति की उस गहराई को उजागर करता है जहां तर्पण और पिंडदान के माध्यम से आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले कर्मकांडों की परंपरा को विदेशी श्रद्धालु भी मान्यता देते हैं। विश्वभर से लोग यहां आकर पिंडदान कर यह संदेश देते हैं कि भारतीय सभ्यता और रीति-रिवाजों में आस्था और श्रद्धा का विशेष स्थान है।