डीजीपी की नियुक्ति रद्द हो,अनुराग गुप्ता के कार्यकलाप की सीबीआई जांच हो: बाबूलाल
रांची, 5 फरवरी । भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने बुधवर को डीजीपी नियुक्ति मामले में राज्य सरकार पर बड़ा निशाना साधा है।
मरांडी ने कहा कि झारखंड की जनता को धोखे में रखकर हेमंत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का खुलेआम उल्लंघन किया है। राज्य सरकार ने न सिर्फ संविधान की मर्यादाओं को तोड़ा है बल्कि राज्य की पुलिस प्रशासन व्यवस्था को अपनी राजनीतिक साजिशों का हथियार बना लिया है।
मरांडी बुधवार को प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में प्रकाश सिंह केस की सुनवाई करते हुए निर्देश दिया था कि डीजीपी की नियुक्ति यूपीएससी के अनुशंसित पैनल से होगी। फिर भी हेमंत सरकार ने यूपीएससी को दरकिनार कर अपनी मर्जी से अनुराग गुप्ता को डीजीपी बना दिया, जिनका नाम यूपीएससी के अनुशंसित सूची में नहीं था।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि जबतक राज्य सरकार कोई नया कानून नहीं बनाती तबतक यूपीएससी की प्रक्रिया से ही नियुक्ति होगी। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर समझने लगे। उन्हें कार्यकारी आदेश (एक्सक्यूटिव ऑर्डर) और अधिनियम (एक्ट) में अंतर पता नहीं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 2025 में एक नियमावली (रूल्स)बना दिए जबकि की (एक्ट) अधिनियम पारित नहीं हुआ। कोई भी सरकार पहले एक्ट बनाती है तब वह रूल्स बनता है। यह यदि एक्ट पारित नहीं हुआ तो रूल्स कैसे बन गया।
उन्होंने कहा कि यहां सवाल उठता है कि राज्य सरकार ने 2025 की नियमावली को भूतलक्षी प्रभाव से लागू करने की कोशिश क्यों और कैसे की? और राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस अवैध प्रक्रिया को कैसे अनुमति दी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री न्यायालय के आदेश पर भी दोहरी नीति अपनाते हैं। अपने को निर्दोष बताने के लिए हाइकोर्ट की टिप्पणियों का सहारा लेते हैं जबकि दूसरी ओर सत्ता चलाने में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हैं।
उन्होंने कहा कि झारखंड हाइकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के द्वारा न्यायपालिका को कमजोर करने की साजिश की गई है। डीजीपी की अवैध नियुक्ति प्रक्रिया में झारखंड उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश शामिल बताए जा रहे। अगर पूर्व न्यायाधीश खुद राज्य सरकार के अवैध कार्यों में शामिल हो जाएंगे तो न्यायपालिका की निष्पक्षता पर क्या असर पड़ेगा?
उन्होंने कहा कि अनुराग गुप्ता चुनावी कदाचार में लिप्त थे, दो वर्षों तक निलंबित भी रहे हैं। उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज हुआ। वे राज्य के सबसे विवादित आईपीसी पदाधिकारी हैं।
उन्होंने कहा कि इन्हें चुनाव कार्य से भी मुक्त रखा गया था फिर हेमंत सरकार ने ऐसे भ्रष्ट, दागदार और विवादास्पद पदाधिकारी को डीजीपी क्यों बनाया? क्या हेमंत सरकार ऐसे पदाधिकारी को महत्वपूर्ण जिम्मेवारी देकर उन्हें बचाना चाहती है?
उन्होंने कहा कि जो अधिकारी अपने गलत कार्यों को लेकर वर्षों तक निलंबित रहा, जिसकी नौकरी की वास्तविक उम्र सीमा 30 अप्रैल को समाप्त होने वाली है, फिर ऐसे में डीजीपी बनाने की जरूरत क्यों हुई? क्या चुनाव में धांधली के पुरस्कार स्वरूप अनुराग गुप्ता को डीजीपी बनाया गया?
उन्होंने मांग किया कि डीजीपी की अवैध नियुक्ति को रद्द किया जाए। साथ ही यूपीएससी द्वारा अनुमोदित सूची से ही डीजीपी की नियुक्ति हो। उन्होंने कहा कि झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई करें।
सुप्रीम कोर्ट इस अवमानना मामले में राज्य सरकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि अनुराग गुप्ता के कार्यकाल की सीबीआई जांच हो। अवैध नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हाइकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश को किसी सरकारी पद पर नियुक्त नहीं किया जाए।
मरांडी ने कहा कि भाजपा झारखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने और राज्य में कानून का राज स्थापित करने केलिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी। प्रेसवार्ता में मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक, प्रदेश प्रवक्ता अजय साह भी उपस्थित थे।