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देश-विदेश में याद किये गये डॉ. भगवती शरण मिश्र

नयी दिल्ली, 27 अगस्त: देश-विदेश की साहित्यिक ,सामाजिक, प्रशासनिक, चिकित्सा एवं अध्यात्म समेत सभी क्षेत्रों की हिस्तियों ने भारतीय साहित्य पटल के अद्भुत सितारा एवं कुशल प्रशासक डॉ. भगवती शरण मिश्र को रविवार को उनकी दूसरी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके कृतत्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।

इस मौके पर आज यहां आयोजित एक वेबिनार में अर्थशास्त्री, सामाजिक विचारक एवं ब्राक (बीआरएसी) ,बंगलादेश के अध्यक्ष डॉ. हुसैन जिल्लुर रहमान,लगातार तीन राष्ट्रपतियों, आर वेंकटरमण , शंकर दयाल शर्मा और प्रणव मुखर्जी के चिकित्सक रहे डॉ. मोहसिन वली, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ (2010)और ‘भारत भारती’ (2019) समेत कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से नवाजी गयीं जानमानी लेखिका उषा किरण खान, वर्ष 2020 के लिए साहित्य अकादमी आदि विशिष्ट पुरस्कारों से अलंकृति अनामिका ,मुंबई पुलिस के स्पेशल

इंस्पेक्टर जनरल दीपक पांडे, जानमाने पत्रकार एवं लेख भास्कर राय, महत्वपूर्ण समाचार एजेंसी यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया ( यूनीवार्ता ) के पूर्व समाचार संपादक एवं लेखक दीपक बिष्ट समेत कई लोगों ने डॉ. मिश्र को श्रद्धांजलि दी और हिन्दी साहित्य जगत में उनके उल्लेखनीय योगदान पर विस्तारपूर्ण चर्चा की।

अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से सम्मानित प्रतिष्ठित उपन्यासकार अपने लेखन की विपुलता एवं गुणवत्ता से उपन्यास-लेखकों की अग्रिम पंक्ति में स्थान रखते हैं। उनकी अबतक करीक 100 से अधिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकीं हैं।

सामाजिक एवं ऐतिहासिक उपन्यास के पुरोधा डॉ. मिश्र की प्रमुख पुस्तकों में पहला सूरज (पुरस्कृत), पवनपुत्र (पुरस्कृत), प्रथम पुरुष (पुरस्कृत), पुरुषोत्तम (पुरस्कृत), पीतांबरा (पुरस्कृत), काके लागूं पांव, गोबिन्द गाथा (पुरस्कृत), मैं भीष्म बोल रहा हूँ, देख कबीरा रोया,पद्मनेत्रा (पुरस्कृत), भारत के राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री आदि शामिल हैं।

देश के प्रायः सभी विश्वविद्यालयों में शोधार्थियों ने उनकी कृतियों पर पी-एच. डी. एम.फिल, और डी. लिट्‌. की डिग्रियां ली हैं। वह हिन्दी के अलवा अंग्रेज़ी, संस्कृत और बंगला के भी प्रचंड विद्वान थे। उनकी कई कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ है।

सत्ताईस अगस्त 2021 को इस महान साहित्यकार का निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे।

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