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डिप्रेशन से लड़ने वाली दवा कैंसर से लड़ने में मददगार

वाशिंगटन। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक आम एंटीडिप्रेसेंट दवा की ऐसी खासियत खोजी है जो कैंसर से लड़ाई में बेहद कारगर साबित हो सकती है. यह दवा ट्यूमर को छोटा करने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है. खास बात यह है कि यह वही दवा है जो आमतौर पर डिप्रेशन और तनाव से राहत के लिए दी जाती है. इसे सिलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इनहिबिटर कहा जाता है.

यूसीएलए (यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजिल्स) के शोधकर्ताओं ने पाया कि ये एंटीडिप्रेसेंट दवाएं न केवल दिमाग के केमिकल्स को संतुलित करती हैं, बल्कि शरीर की टी कोशिकाओं को भी अधिक प्रभावशाली बनाती हैं. यही टी कोशिकाएं कैंसर सेल्स से लड़ने में सबसे अहम भूमिका निभाती हैं.

शोध में इन दवाओं को चूहों और इंसानों के ट्यूमर मॉडल्स पर टेस्ट किया गया. परीक्षण मेलेनोमा, स्तन कैंसर, प्रोस्टेट, कोलन और मूत्राशय के कैंसर पर किए गए. परिणाम चौंकाने वाले थे, एसएसआरआई दवाओं के इस्तेमाल से ट्यूमर का आकार 50% तक घट गया और इम्यून सिस्टम की ताकत भी बढ़ी.

इस शोध की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. लिली यांग ने बताया, “एसएसआरआई दवाएं दशकों से सुरक्षित रूप से डिप्रेशन के इलाज में उपयोग हो रही हैं. अब अगर इन्हें कैंसर के इलाज में इस्तेमाल किया जाए, तो नया इलाज विकसित करने की बजाय, पहले से मौजूद विकल्प का उपयोग करना अधिक आसान और सुरक्षित होगा.”

शोध की शुरुआत तब हुई जब वैज्ञानिकों ने देखा कि ट्यूमर से निकाली गई इम्यून कोशिकाओं में सेरोटोनिन से जुड़े तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. इसके बाद शोधकर्ताओं ने ‘एसईआरटी’ नाम के एक विशेष मॉलिक्यूल पर फोकस किया, जो शरीर में सेरोटोनिन की मात्रा को कंट्रोल करता है.

वैज्ञानिकों का अगला कदम वास्तविक दुनिया के कैंसर मरीजों पर इन दवाओं के प्रभाव को परखना है. अगर नतीजे सकारात्मक रहे, तो यह खोज कैंसर के इलाज में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है.

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