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मई के अंत तक राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 0.8 फीसदी पर : वित्त मंत्रालय

नई दिल्ली, 30 जून । केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्‍त वर्ष 2025-26 में मई के अंत तक वार्षिक अनुमान के 0.8 फीसदी पर आ गया है, जिसका मुख्य कारण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आरबीआई से प्राप्त 2.69 लाख करोड़ रुपये का भारी लाभांश है।

वित्‍त मंत्रालय ने सोमवार को महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी। इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 के पहले दो महीनों में राजकोषीय घाटा यानी सरकार के व्यय एवं राजस्व के बीच का अंतर 2024-25 के केंदीय बजट अनुमान (बीई) का 3.1 फीसदी रहा था। चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडपी) का 4.4 फीसदी यानी 15.69 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-मई, 2025 के दौरान राजकोषीय घाटा 13,163 करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 0.8 फीसदी रहा, जो अप्रैल में 2025-26 के बजट अनुमान (बीई) का 11.9 फीसदी यानी 1.86 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। केंद्र सरकार को ‘लाभांश और लाभ’ मद में 2.78 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 86 फीसदी प्राप्त हुआ। मासिक खातों के आंकड़ों के मुताबिक भारत सरकार को मई 2025 तक 7.32 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जो कुल प्राप्तियों के संबंधित बजट अनुमान वित्‍त वर्ष 2025-26 का 21 फीसदी है।

आंकड़ों के अनुसार शुद्ध कर राजस्व 3.5 लाख करोड़ रुपये (केंद्र को शुद्ध), 3.56 लाख करोड़ रुपये का गैर-कर राजस्व और 25,224 करोड़ रुपये का गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियां शामिल हैं। यह बजट अनुमान 2025-26 का 12.4 फीसदी है। पिछले वित्‍त वर्ष की इसी अवधि में यह बजट अनुमान का 12.3 फीसदी रहा था। मई, 2025 के अंत तक कुल व्यय 7.46 लाख करोड़ रुपये यानी चालू वित्त वर्ष 2025-26 के बजट अनुमान का 14.7 फीसदी रहा। इससे पिछले वित्‍त वर्ष की इसी अवधि में यह 12.9 फीसदी था।

सीजीए ने जारी आंकड़ों में कहा कि भारत सरकार द्वारा करों के हिस्से के हस्तांतरण के रूप में राज्य सरकारों को 1.63 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 23,720 करोड़ रुपये अधिक है। केंद्र सरकार द्वारा किया गया कुल व्यय 7.46 लाख करोड़ रुपये था, जो वित्‍त वर्ष 2025-26 के संबंधित बजट अनुमान का 14.7 फीसदी है। आंकड़ों के मुताबिक कुल व्यय में से 5.24 लाख करोड़ रुपये राजस्व खाते में और 2.21 लाख करोड़ रुपये पूंजी खाते में थे। कुल राजस्व व्यय में से 1.47 लाख करोड़ रुपये ब्याज भुगतान और 51,253 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडी के लिए थे। उल्‍लेखनीय है कि महालेखा नियंत्रक (सीजीए) वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के तहत है, जो महालेखानियंत्रक, भारत सरकार के प्रधान लेखा सलाहकार होता है।

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