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जेटेट नियमावली में हिंदी और भोजपुरी भाषा को भी शामिल की जाए: मंत्री

पलामू, 11 जून । जेटेट नियमावली में हिंदी, मगही, भोजपुरी भाषा को शामिल नहीं किए जाने को लेकर बढ़े आक्रोश को देखते हुए राज्य के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने बुधवार को झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर जेटेट की नियमावली में हिंदी और भोजपुरी भाषा को शामिल करने की मांग की है।

मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से जेटेट की नियमावली का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। पलामू सहित कई जिलों में शिक्षकों की नियुक्ति में वहां की स्थानीय भाषा की जानकारी को अनिवार्य किया गया है। इन जिलों में नागपुरी, कुडुख, खड़िया, मुंदरी, खोरठा, बांग्ला, कुरमाली सहित अन्य भाषाओं की जानकारी होना अनिवार्य बनाया गया है। उक्त भाषाओं के निर्धारण में विभिन्न प्रकार की त्रुटियां हैं। उदाहरण स्वरूप पलामू-गढ़वा में जनजातीय भाषा के रूप में कुडुख तथा क्षेत्रीय भाषा के रूप में नागपुरी को अनिवार्य बनाया गया है। नागपुरी भाषा जिसे सादरी के नाम से भी जाना जाता है। एक इंडो आर्यन भाषा है, जो झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओड़िसा में बोली जाती है। नागपुरी की अपनी कोई लिपि नहीं है। नागपुरी को देवनागरी या कैथी लिपि में लिखा जाता रहा है।

जहां तक पलामू-गढ़वा जिले में शिक्षकों की पात्रता के लिए कुडुख भाषा अनिवार्य बनाया जाना संभवत और विवेकपूर्ण निर्णय नहीं होगा, क्योंकि दोनों जिले में कुडुक भाषा का प्रयोग बहुत ही काम किया जाता है। सामान्य क्षेत्र के लिए नागपुरी भाषा को अनिवार्य किए जाने का प्रश्न है तो इस संबंध में सूचित करना है कि दोनों जिले के लोग नागपुरी लिपि का प्रयोग देवनागरी (हिंदी) लिपि में ही करते हैं। वैसे भी दोनों जिले के लोग हिंदी और भोजपुरी का ही प्रयोग करते हैं। ऐसे में जेटेट शिक्षक पात्रता के लिए निर्धारित की गयी भाषा में देवनागरी (हिंदी) को स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाए तथा भोजपुरी भाषा को भी शामिल किया जाए।

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