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भारत का इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के मित्र देशों से सैन्य साझेदारी मजबूत करने का आह्वान

  • मानेकशा सेंटर में शुरू हुआ दो दिवसीय 13वां इंडो-पैसिफिक सेना प्रमुख सम्मेलन
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के करीब 30 देशों के सेना प्रमुख या उनके प्रतिनिधि भारत आये

नई दिल्ली। राजधानी के मानेकशा सेंटर में मंगलवार से 13वां इंडो-पैसिफिक सेना प्रमुख सम्मेलन शुरू हुआ। इसमें करीब 30 देशों के सेना प्रमुख या उनके प्रतिनिधि हिस्सा लेने भारत आये हैं। सम्मेलन के उद्घाटन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सभी मित्र देशों से सैन्य साझेदारी मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत के इस प्रयास से न केवल हमारे अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा होगी, बल्कि हम सभी आने वाली महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सामूहिक प्रयास कर सकेंगे।

नई दिल्ली में दो दिवसीय 13वें इंडो-पैसिफिक सेना प्रमुखों के सम्मेलन की शुरुआत में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका की सेनाओं ने संयुक्त रूप से ध्वजारोहण किया। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि सभी साझेदार देशों की मजबूरियों और दृष्टिकोणों को समझने के साथ-साथ विशेषज्ञता और संसाधनों को साझा करने की भी आवश्यकता है। इसलिए आइए हम खुले दिमाग और दिल से बातचीत करें, जिससे इस संगठन को नया आकार मिल सके। उन्होंने कहा कि मित्र देशों के साथ मजबूत सैन्य साझेदारी बनाने की दिशा में भारत के प्रयास न केवल हमारे अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेंगे, बल्कि हम सभी के सामने आने वाली महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने की हमारी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करते हैं।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सामने आने वाली जटिल सुरक्षा चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत-प्रशांत एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक क्षेत्र के रूप में विकसित हुआ है। इस क्षेत्र को सीमा विवाद और समुद्री डकैती जैसी जटिल सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने छोटे देशों की जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को उचित महत्व मिलना चाहिए। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र हाल के वर्षों में एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक और रणनीतिक अवधारणा के रूप में उभरा है, जो मुख्य रूप से समुद्री अवधारणा से एक व्यापक रणनीतिक ढांचे में बदल रहा है।

उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन दुनिया के सबसे आर्थिक रूप से जीवंत और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में उभरती गतिशीलता को रेखांकित करता है। राज्यों को यह समझना चाहिए कि कई हितधारकों से जुड़े वैश्विक मुद्दे और चुनौतियां हैं, जिन्हें कोई भी देश अलग से संबोधित नहीं कर सकता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत-प्रशांत क्षेत्र का महत्व केवल समुद्री व्यापार या संचार लाइनों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके व्यापक राजनीतिक, सुरक्षा और राजनयिक आयाम भी हैं। यह निश्चित रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सेनाओं के लिए बड़ा सम्मेलन है, जिसका उद्देश्य आपसी समझ, संवाद और मित्रता के माध्यम से भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है।

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