भारत वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में सबसे आगे : केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल
नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में सबसे आगे है और पिछले एक दशक में अकेले सौर ऊर्जा में 30 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि देश ने 2030 के रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्यों को निर्धारित समय से आठ साल पहले ही हासिल कर लिया है।
‘कोलंबिया इंडिया एनर्जी डायलॉग’ को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका पर प्रकाश डाला और समावेशी तथा न्यायसंगत जलवायु कार्रवाई के प्रति देश की प्रतिबद्धता दोहराई।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में सभी देशों की सामूहिक जिम्मेदारी को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, ऊर्जा परिवर्तन को लेकर हम सभी को योगदान देना चाहिए। हालांकि, प्रत्येक देश के विकास के चरण के आधार पर परिवर्तन का स्तर और गति अलग-अलग होगी, लेकिन प्रतिबद्धता सार्वभौमिक होनी चाहिए।”
केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वास्तविक और जरूरी चुनौती है और प्रत्येक देश को अपने स्वयं के अनूठे समाधान तैयार करने चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी अफसोस जताया कि पेरिस समझौते में विकसित देशों के वादे काफी हद तक अधूरे रह गए हैं।
उन्होंने कहा, 2015 से बड़ा मुद्दा केवल जलवायु परिवर्तन नहीं रहा है, बल्कि कई विकसित देश टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, दीर्घकालिक रियायती जलवायु वित्त पोषण और सीबीडीआर के सिद्धांत के तहत समर्थन देने में विफल रहे हैं।
भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा, दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी का समर्थन करने के बावजूद भारत वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का केवल 3 प्रतिशत हिस्सा है।
उन्होंने कहा, हमने 2030 के लिए 200 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी का लक्ष्य 2022 में ही हासिल कर लिया है, जो तय समय से आठ साल पहले है। पिछले दशक में अकेले सौर ऊर्जा में 30 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। भारत यूएनएफसीसीसी को समय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करना जारी रखता है, जो वैश्विक अनुपालन के लिए एक उदाहरण है।
केंद्रीय मंत्री ने कार्बन उत्सर्जन के मूल कारणों, विशेष रूप से अत्यधिक खपत और बर्बादी को संबोधित करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, अत्यधिक खपत, विशेष रूप से उच्च-समृद्धि वाले देशों में, खेत से लेकर थाली तक प्रणालीगत कार्बन उत्सर्जन की ओर ले जाती है। हर कदम, उत्पादन, पैकेजिंग, परिवहन, भंडारण और निपटान, उत्सर्जन में इजाफा करता है। इस व्यवहार पैटर्न को संबोधित किया जाना चाहिए।