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अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति कर रहा है भारत : योगी

लखनऊ, 8 जनवरी: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में भारत अपनी प्राचीन विरासत पर गर्व कर रहा है।

एक मीडिया समूह द्वारा आयोजित कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुये उन्होने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम, अयोध्या, और प्रयागराज के विकास कार्य प्रधानमंत्री मोदी की दूरदृष्टि का परिणाम है कि आज ये स्थान वैश्विक स्तर पर आकर्षण के केंद्र बन गए हैं। 2024 में काशी में 16 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने काशी विश्वनाथ के दर्शन किए वहीं अयोध्या में जनवरी 2024 से सितंबर तक श्रद्धालुओं की संख्या 13 करोड़ 55 लाख से अधिक रही है। श्रद्धालु जब प्रदेश में आते हैं, तो परिवहन, आवास, भोजन और अन्य सेवाओं पर खर्च करते हैं, जिससे स्थानीय व्यवसाय और रोजगार को बढ़ावा मिलता है।

श्री योगी ने कहा कि महाकुम्भ भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का परिचायक है। यह आयोजन देश और दुनिया के लोगों को अपनी प्राचीन परंपराओं पर गर्व करने और अपनी सांस्कृतिक जड़ों को समझने का अवसर प्रदान करता है। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल धार्मिक आस्था को प्रोत्साहित करना है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन भी प्रदान करना है।

उन्होने कहा कि इस बार का महाकुम्भ एक भव्य, दिव्य और डिजिटल आयोजन होगा। दस हजार एकड़ क्षेत्रफल में आयोजित यह महाकुम्भ स्वच्छता, सुरक्षा और आधुनिकता का आदर्श प्रस्तुत करेगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए डिजिटल टूरिस्ट मैप, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े सुरक्षा तंत्र और स्मार्टफोन के माध्यम से शौचालयों की स्वच्छता का आकलन करने की व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकुम्भ जैसे आयोजनों का प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 2019 में आयोजित कुम्भ के दौरान उत्तर प्रदेश की आर्थिक वृद्धि में 1.2 लाख करोड़ रुपये का योगदान हुआ था। इस बार 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जिससे प्रदेश को 2 लाख करोड़ रुपये तक की आर्थिक वृद्धि होने का अनुमान है।

श्री योगी ने कहा कि महाकुम्भ का आयोजन सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण का भी एक माध्यम है। प्रयागराज में अक्षय वट कॉरिडोर, सरस्वती कूप कॉरिडोर, पातालपुरी कॉरिडोर और महर्षि भारद्वाज कॉरिडोर का निर्माण किया गया है। इसके साथ ही भगवान राम और निषाद राज के मिलन स्थल श्रृंगवेरपुर में भव्य कॉरिडोर और प्रतिमा स्थापित की गई है।

उन्होने कहा कि महाकुम्भ के आयोजन में पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखा गया है। गंगा और यमुना नदी में किसी भी प्रकार के सीवर या कचरे का निर्वहन नहीं किया जाएगा। इसके लिए अत्याधुनिक एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और बायो-रिमिडिएशन पद्धतियों का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही 1.5 लाख से अधिक शौचालयों को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वे पूरी तरह से स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल हों।

महाकुम्भ के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 25 सेक्टरों में विभाजित क्षेत्र में 30 पेंटून ब्रिज, 5000 एकड़ में पार्किंग की व्यवस्था और 8000 से अधिक बसें संचालित की जाएंगी। इसके अलावा, बैटरी संचालित वाहन और सटल बस सेवा भी उपलब्ध होगी।

श्री योगी ने कहा “ मुझे लगता है यह उन लोगों को समझ में ही नहीं आएगा, जिनको अभी तक पता ही नहीं है की नदी को चैनेलाइज करके नदी की आयु को बढ़ाई जाती है ना कि उसकी प्राकृतिक प्रभाव को अवरुद्ध किया जाता है। यह वह लोग हैं जो अपनी विरासत को भारत के विरासत के साथ जोड़ने की जगह विदेशी आक्रांताओं की विरासत के साथ जुड़ने पर गौरव की अनुभूति करते हैं और उसी का अनुसरण भी करते हैं। इसीलिए उनको कुम्भ का आयोजन अच्छा नहीं लगता है उनको अयोध्या का विकास अच्छा नहीं लगता है। उनको काशी की कायाकल्प अच्छी नहीं लगती। मथुरा वृंदावन का सौंदर्य उन्हें जो पूरी दुनिया को आकर्षित कर रहा है उन्हें अच्छा नहीं लगता। उनको बांटना अच्छा लगता है, वह जाति के नाम पर बाटेंगे, क्षेत्र के नाम पर बाटेंगे, भाषा के नाम पर बाटेंगे और अन्य मुद्दों के आधार पर बांट करके फिर उसे राजनीतिक रोटी सेंकने का काम करेंगे। उन लोगों से उम्मीद नहीं की जा सकती है

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