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रक्षा नवाचार तथा एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में विश्व का नेतृत्व करने की ओर बढ़ रहा है भारत: राजनाथ

बेंगलुरू 12 फरवरी : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत बदलाव के क्रांतिकारी दौर से गुजर रहा है और रक्षा नवाचार तथा एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में विश्व का नेतृत्व करने की ओर बढ रहा है।

श्री सिंह ने बुधवार को यहां 15वें एयरो इंडिया शो और प्रदर्शनी के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “भारत परिवर्तन के एक क्रांतिकारी दौर से गुजर रहा है और रक्षा नवाचार तथा एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेता बनने की ओर अग्रसर है।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्र की मजबूती के लिए आत्मनिर्भरता का मंत्र दिया जिसने देश में एक क्रांति का सूत्रपात किया। उन्होंने कहा, “यह दर्शन धीरे-धीरे हमारी राष्ट्रीय भावना में बदल गया और अब यह तेजी से राष्ट्रीय संकल्प और राष्ट्रीय क्रांति बनने की ओर अग्रसर है।” उन्होंने कहा कि एयरो इंडिया में घरेलू तथा वैश्विक कंपनियों की बढ़ती भागीदारी और वायु सेना के रोमांचिक एयरोबैटिक प्रदर्शनों ने एशिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी के 15वें संस्करण को एक अद्वितीय और ऐतिहासिक आयोजन बना दिया है।

देश में रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में हो रहे व्यापक बदलाव के बारे में उन्होंने कहा कि एक दशक पहले जहां 65-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण आयात किए जाते थे, वहीं आज लगभग उतने ही हथियार और प्लेटफॉर्म भारत में बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “आज हम ऐसे मोड़ पर हैं, जहां लड़ाकू विमान, मिसाइल सिस्टम और नौसैनिक पोत समेत कई रक्षा उत्पाद न केवल हमारी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि दुनिया का ध्यान भी खींच रहे हैं। छोटे तोपखाने से लेकर ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल सिस्टम जैसे बड़े प्लेटफॉर्म तक, हम कई देशों को कई तरह के उत्पाद निर्यात कर रहे हैं। हमने वैश्विक स्तर पर नई साझेदारियां की हैं, जिसके परिणामस्वरूप रक्षा निर्यात में वृद्धि हुई है।”

श्री सिंह ने कहा कि भारत के पास एक मजबूत रक्षा औद्योगिक परिसर है, जिसमें रक्षा क्षेत्र के 16 सार्वजनिक उपक्रम (डीपीएसयू), 430 लाइसेंस प्राप्त कंपनियां और लगभग 16,000 एमएसएमई शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कुल रक्षा उत्पादन में 21 प्रतिशत की मौजूदा हिस्सेदारी के साथ, निजी क्षेत्र आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। उन्होंने सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की प्रगति के लिए सरकार द्वारा लगातार लागू की जा रही नीतियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि निजी उद्योग भारत में रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाए। रक्षा मंत्री ने इस तथ्य पर जोर दिया कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के अलावा, सशस्त्र बल देश की आत्मनिर्भरता की यात्रा में सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसमें किसी भी तरह के समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है। जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो सर्वश्रेष्ठ से कम कुछ भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। चाहे हमारे सैनिकों के लिए उपकरण हों या उनके और उनके परिवारों के लिए उचित सुविधाओं का प्रावधान हो, उन्हें हर चीज में सर्वश्रेष्ठ प्रदान करना हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि आज हमारी सेनाएं न केवल ‘सर्वोत्तम’ हथियारों/प्रौद्योगिकियों से लैस हो रही हैं, बल्कि उनके पास भारत में निर्मित प्लेटफॉर्म भी हैं।”

श्री सिंह ने स्वदेशी रक्षा उत्पादों पर पूर्ण विश्वास के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने कहा, “सेना ने पूरे दिल से देश में निर्मित हथियारों और उपकरणों को अपनाया है। हमारे सशस्त्र बलों की पूर्ण संतुष्टि के साथ ही हम तेज गति से आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। भारत में बनाया जा रहा विशाल रक्षा औद्योगिक परिसर हमारी सभी सेनाओं के भरोसे और विश्वास पर आधारित है।”

रक्षा मंत्री ने उभर रहे युद्ध के आयामों को ध्यान में रखते हुए रक्षा तैयारियों को लगातार बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि एयरो इंडिया 2025 ने यह क्षमता दिखाई है कि भारतीय रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र का भविष्य केवल आसमान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे परे भी है। उन्होंने 15वें एयरो इंडिया में भाग लेने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया और आशा व्यक्त की कि यह प्रतिभागियों के बीच कई सहयोगी, पारस्परिक रूप से लाभकारी और सफल उपक्रमों और गठबंधनों के बीज बोएगा। इससे पहले उन्होंने ‘सामर्थ्य’ स्वदेशीकरण कार्यक्रम में भाग लिया, जो एयरो इंडिया में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम था। इसमें रक्षा विनिर्माण में भारत की स्वदेशी प्रतिभा को 33 प्रमुख वस्तुओं के माध्यम से प्रदर्शित किया गया, जिसमें डीपीएसयू, डीआरडीओ और भारतीय नौसेना की 24 वस्तुएं और रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) की नौ सफल नवाचार परियोजनाएं शामिल थीं।

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