भारत ने ब्रिक्स देशों के कृषि मंत्रियों की बैठक में समावेशी, न्यायसंगत और सतत कृषि के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई
– ब्रिक्स कृषि मंत्रियों की बैठक में भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए ‘ब्रिक्स लैंड रिस्टोरेशन साझेदारी’ की घोषणा
नई दिल्ली, 18 अप्रैल । ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स देशों के कृषि मंत्रियों की 15वीं बैठक में भारत ने समावेशी, न्यायसंगत और सतत कृषि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। केंदीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर छोटे और सीमांत किसानों के कल्याण को वैश्विक कृषि रणनीति के केंद्र में रखने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि कृषि भारत के लिए केवल एक आर्थिक गतिविधि नहीं बल्कि करोड़ों परिवारों के लिए आजीविका, भोजन और गरिमा का स्रोत है। भारत ने कहा कि जब तक छोटे किसानों को संरक्षित और सशक्त नहीं किया जाएगा, तब तक वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास का लक्ष्य अधूरा रहेगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि दुनिया के 510 मिलियन छोटे किसान वैश्विक खाद्य प्रणाली की रीढ़ हैं और जलवायु परिवर्तन, मूल्य अस्थिरता तथा संसाधनों की कमी के बीच वे सबसे अधिक संवेदनशील हैं। हम छोटे किसानों को इन चुनौतियों से लड़ने में अकेला नहीं छोड़ सकते, उन्हें हमारी नीतिगत सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने क्लस्टर आधारित खेती, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), सहकारी मॉडल और प्राकृतिक खेती को छोटे किसानों के सामूहिक सशक्तीकरण और बाजार तक बेहतर पहुंच का प्रभावी माध्यम बताया।
बैठक में कृषि व्यापार को न्यायसंगत बनाने, वैश्विक मूल्य अस्थिरता को नियंत्रित करने और छोटे किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया। चौहान ने सार्वजनिक खाद्य भंडारण व्यवस्था, न्यूनतम समर्थन मूल्य, और छोटे किसानों को सीधे जोड़ने वाले मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता को दोहराया। उन्होंने कोविड-19 संकट के दौरान भारत की खाद्य भंडारण क्षमता को एक मिसाल के रूप में प्रस्तुत किया, जिसके माध्यम से 80 करोड़ नागरिकों तक मुफ्त राशन पहुंचाया गया।
उन्होंने अपनी तकनीकी पहलों– डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन, एग्री-स्टैक, ड्रोन तकनीक और क्लाइमेट रेजिलिएंट विलेजेज को साझा करते हुए बताया कि इन नवाचारों ने योजनाओं की पहुंच, पारदर्शिता और किसानों की आय में उल्लेखनीय सुधार लाया है। उन्होंने ‘लखपति दीदी’ और ‘ड्रोन दीदी’ जैसी पहलों का उल्लेख कर ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
बैठक के दौरान जलवायु परिवर्तन के खिलाफ साझा लड़ाई के लिए चौहान ने अपने कार्यक्रमों – एनएमएसए, एनआईसीआरए, वेस्ट टू वेल्थ, सर्कुलर इकोनॉमी, जैव उर्वरक और पारंपरिक खेती को साझा करते हुए सहयोग को और सशक्त बनाने का आह्वान किया। इस संदर्भ में, ब्रिक्स कृषि मंत्रियों ने “ब्रिक्स लैंड रिस्टोरेशन पार्टनरशिप” की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य भूमि क्षरण, मरुस्थलीकरण और मिट्टी की उर्वरता में कमी से निपटना है।
घोषणा पत्र के अंतर्गत ब्रिक्स देशों ने एकजुट होकर वैश्विक कृषि-खाद्य प्रणाली को न्यायसंगत, समावेशी, नवाचारी और सतत बनाने के संकल्प को दोहराया। इसमें खाद्य सुरक्षा, जलवायु अनुकूलन, महिलाओं और युवाओं का सशक्तीकरण, सतत मत्स्य पालन और पशुधन विकास, मिट्टी और भूमि पुनर्स्थापन, डिजिटल कृषि प्रमाणीकरण, और वैश्विक दक्षिण की कृषि अर्थव्यवस्थाओं के लिए वित्तीय एवं व्यापारिक तंत्र को बढ़ावा देने के संकल्प को प्रमुखता दी गई। भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण को रोकने हेतु ‘ब्रिक्स लैंड रिस्टोरेशन साझेदारी’ की घोषणा भी इस मीटिंग में की गयी।
चौहान ने ब्रिक्स देशों को ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2025’ और ‘वर्ल्ड ऑडियो-विजुअल एंटरटेनमेंट समिट 2025’ में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया ताकि यह मंच नवाचार, साझेदारी और वैश्विक सहयोग को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो। उन्होंने भारत के वैदिक मूल्यों का उल्लेख करते हुए अपने संबोधन का समापन “सर्वे भवन्तु सुखिनः…” के साथ किया और कहा कि भारत का यह दृष्टिकोण न केवल उसकी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं की पुष्टि करता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी नेतृत्वकारी भूमिका को भी सशक्त करता है।