इजराइली राजदूतों ने तहव्वुर राणा पर “हार न मानने” के लिए भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की
नई दिल्ली, 10 अप्रैल । मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा के अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण के बाद इजराइल ने भारत सरकार की “हार न मानने” वाली कोशिशों की सराहना की है। इजराइल के राजदूत और राजनयिक ने इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति बताया है।
भारत में इजराइल के राजदूत रियूवेन अज़ार ने बयान जारी कर कहा, “मैं आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए भारत सरकार की दृढ़ता के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। हम उन भयानक हमलों के लिए जवाबदेही की दिशा में उठाए गए इस कदम का स्वागत करते हैं, जिनमें इजराइलियों सहित कई लोगों की जान चली गई थी।”
वहीं, भारत में पूर्व इजराइली राजदूत मार्क सोफ़र ने भी आतंकी मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा पर “हार न मानने” के लिए भारत सरकार के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि राणा के प्रत्यर्पण से “आतंकवादियों को एक कड़ा संदेश जाता है कि भारत कभी हार नहीं मानेगा।” उन्होंने आगे कहा कि भारतीय सरकार और उसके अधिकारी प्रशंसा के योग्य हैं जिन्होंने हार नहीं मानी और 17 साल से ज़्यादा समय से आतंकवादियों का पीछा किया और उन्हें न्याय के कटघरे में खड़ा किया।”
एक अन्य पूर्व इजराइली राजदूत डेनियल कार्मोन ने भी राणा के प्रत्यर्पण पर खुशी जताई है। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा, 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा के अमेरिका से प्रत्यर्पण भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर, गृह मंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल और उनकी टीमों को बधाई। उन्होंने आगे कहा कि आखिरकार न्याय मिलेगा। पीड़ित परिवारों को मुंबई त्रासदी के बारे में कुछ हद तक राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में कहीं भी आतंकवादियों को कोई माफी या दया नहीं मिलेगी।
राजदूत के अलावा मध्यपश्चिम भारत में इजराइल के राजनायिक कोबी शोशानी का मानना है कि राणा का भारत आना मोदी सरकार की एक बड़ी कामयाबी है। शोशानी ने कहा, “मैं भारत सरकार को बधाई देना चाहूंगा क्योंकि यह निश्चित रूप से मोदी सरकार, भारतीय कूटनीति के लिए एक बड़ी सफलता है। वर्षों की कोशिशों के बाद उसे भारत लाया जा सका है। इस घटनाक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नरेन्द्र मोदी के बेहतर रिश्ते की भी भूमिका रही है।
उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 2008 की रात को 10 आतंकवादियों ने मुंबई में कई स्थानों पर एक साथ हमला किया था। आठ हमले दक्षिण मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट, ताज महल पैलेस और टॉवर होटल, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल, नरीमन हाउस (यहूदी केंद्र), मेट्रो सिनेमा, और टाइम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग और सेंट जेवियर्स कॉलेज के पास हुए। इसके अलावा, मुंबई के बंदरगाह क्षेत्र मझगांव में और विले पार्ले में एक टैक्सी में विस्फोट हुआ। आतंक ने मुंबई को दो दिनों तक जकड़ रखा था और 28 नवंबर को भारतीय सुरक्षा बलों ने नौ आतंकवादियों को मार गिराया। जबकि एक आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया, जिसे बाद में फांसी की सजा हुई।