जनप्रतिनिधियों और ग्राम प्रधानों के सहयाेगा के बिना अफीम की खेती को खत्म करना असंभव: वंदना डाडेल
खूंटी, 18 जनवरी । राज्य की प्रधान सचिव गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग वंदना डाडेल ने कहा कि ग्रामीण जन प्रतिनिधियों की सहभागतिा और सहयोग के बिना अफीम की खेती को जड़ से समाप्त करना असंभव है। प्रधान सचिव टाउन हॉल खूंटी के सभागार में शनिवार को नशामुक्त झारखंड के तहत अफीम मुक्त खूंटी को लेकर आयोजित पंचायत प्रतिनिधियों और ग्राम प्रधानों की जिला स्तरीय संगोष्ठी को संबाधित कर रही थी।
इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ आईजी अखिलेश कुमार झा, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीकी,
उपायुक्त लोकेश मिश्र, एसपी अमन कुमार, वन प्रमंडल पदाधिकारी दिलीप कुमार यादव सहित अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। मौके पर खूंटी को अफीम की खेती से मुक्त करने की शपथ दिलाई गई।
इस दौरान प्रधान सचिव वंदना डाडेल ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि वे खूंटी जिले के कर्रा प्रखंड के कच्चाबारी की रहनेवाली है।। खूंटी जिले से उनकी सुंदर यादें जुड़ी हैं, लेकिन अब खूंटी जिला अफीम की खेती के लिए बदनाम हो गया है। नक्सलवाद की पीड़ा से निकले खूंटी के संबंध में अफीम की खेती से संबंधित खबरें अखबारों में पढ़कर उनके मन में बहुत पीड़ा होती है। उन्होंने कहा कि अगर ईमानदारी से सामूहिक रूप से कार्य किया जाए, तो जिले को अफीम की खेती से मुक्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अवैध पोस्ते एवं अफीम की खेती को रोकने के लिए सभी विभाग के अधिकारी आपसी समन्वय के साथ जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रहे हैं। अब अफीम की खेती का विनष्टिकरण के साथ दोषियों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की जा रही है। लोग गिरफ्तार किये जा रहे हैं। साथ ही सख्त कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने अफीम की खेती को बंद करने के लिए सभीे समाज को आगे आने का आह्वान करते हुए पंचायतों के मुखियाओं से लोगों को जागरूक करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में अफीम की खेती हो रही है, उसके संबंध में पुलिस को गुप्त सूचना दी जानी चाहिए। उन्होंने जिले के किसानों से अफीम की खेती का त्याग कर आधुनिक पद्वति से वैकल्पिक खेती करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन किसानों को वैकल्पिक खेती के लिए हर संभव सहयोग के लिए सदैव तैयार है।
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि अफीम, उग्रवाद और मानव तस्करी जिले की तीन मुख्य समस्याएं हैं। कोई भी मानव तस्करी का शिकार होता है, तो झारखंड सरकार उनके रेस्क्यू के लिए हमेशा तत्पर है। उन्होंने कहा कि खूंटी जिला उग्रवाद मुक्त हो गया है। उन्होंने भूले-भटके उग्रवादी गतिविधियों में शामिल युवाओं से सरकार की सरेंडर नीति के तहत पुलिस के समक्ष समर्पण कर समाज की मुख्य धारा में शामिल होने की अपील की। उन्होंने कहा कि चतरा से आकर अफीम माफिया ने खूंटी जिले में सुदूरवर्ती भोले-भाले ग्रामाणों को प्रलोभन देकर खूंटी में अफीम की खेती की शुरुआत कराई। उन्होंने अफीम की अवैध खेती के विरुद्ध एनडीपीएस की चर्चा करते हुए कहा कि पहले हमलोग लोगों को अफीम की खेती बंद के करने के लिए समझाएंगे, मनाएंगे, विनती करेंगे। बात नहीं मानने पर अफीम की खेती करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव, अबू बकर सिद्दीकी ने कार्यकम में ग्रामीणों से अफीम की खेती छोड़कर वैकल्पिक खेती अपनाने की अपील की। उन्होंने कृषि के विकास के लिए सरकार के जरिये संचालित विविध योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि ग्रामीण अपनी सोच बदलें और सरकार के जरिये संचालित योजनाओं का लाभ उठाएं।
कार्यक्रम के आयोजन के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए उपायुक्त लोकेश मिश्र ने कहा कि जिला में अफीम की खेती एक सामाजिक समस्या बन चुकी है। इस समस्या का निपटारा सामाजिक तौर पर ही किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिला के कई मुखिया और ग्राम प्रधानों ने अफीम की खेती का स्वयं विनष्टिकरण करवाया है। उन्हें जिला प्रशासन जरिये सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अफीम की खेती को बढ़ावा देने वाले लोगों के संबंध में पुलिस को गुप्त रुप से सूचित करें। एसपी अमन कुमार ने अफीम की खेती से मानव जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए लोगों से अपने परिवार, समाज और जिला के हित में अफीम की खेती से स्वयं को दूर रहने की अपील की। कार्यक्रम में जिलांतर्गत विभिन्न पंचायतों के मुखिया ग्राम प्रधान सहित अन्य ग्रामीण जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में शामिल थे।