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Jharkhand Assembly Election 2024: कुर्मी वोट बैंक पर NDA की नजर, जानें क्या है चुनावी समीकरण?

Insight Online News

रांचीः भाजपा ने आजसू के साथ साथ जदयू के साथ झारखंड में उतरने का सिग्नल दे कर अपनी चुनावी रणनीति का खुलासा कर दिया है। भाजपा चुनावी समीकरण में अपने पारंपरिक वोट को कुड़मी-कुरमी के आधार मतों के साथ साथ आदिवासी के साथ जोड़कर जीत की राह दुरुस्त करना चाहती है। अब यह दीगर कि भाजपा के इस चुनावी समीकरण को झारखंड की जनता किस हद तक स्वीकार करती है यह तो आगामी विधान सभा चुनाव परिणाम के बाद चलेगा।

  • क्या है एनडीए का नया स्वरूप?

अब तो जो बातें छन कर आई है उसके अनुसार झारखंड में बीजेपी के साथ नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू और सुदेश महतो की आजसू पार्टी का गठबंधन तय हो गया है। बीजेपी चुनाव समिति की बैठक के बाद चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने मीडिया से बात करते हुए यह जानकारी दी। चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास से गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा कि यह फैसला दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व करेगा। जहां तक सीटों के बंटवारे की बात है वह अभी काफी प्रारंभिक दौर में है। एक दो बैठक में सीटें भी चिह्नित कर ली जाएगी।

  • क्या है चुनावी रणनीति?

आदिवासी के 27 प्रतिशत की राजनीति में हिस्सेदारी के लिए प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी के साथ-साथ अर्जुन मुंडा और सीता सोरेन तो थी ही। अब इस कड़ी में एक नया नाम चंपाई सोरेन का जुड़ गया है। वहीं कुर्मी (महतो) मतों की घेराबंदी के लिए इस बार एक बार फिर आजसू पार्टी के सुदेश महतो का साथ तो है ही। इस बार एक बार फिर जनता दल यू के नीतीश कुमार के प्रभाव में एनडीए अपना असर दिखाने को तैयार हो रही है।

  • क्या है आजसू और भाजपा का चुनावी समीकरण?

वर्ष 2014 विधान सभा के चुनाव में भाजपा और आजसू का साथ रहना सरकार के समीकरण तक जा पहुंचा था। तब भाजपा को 81 विधान सभा सीटों वाले झारखंड में 37 सीटों पर जीत मिली और आजसू को पांच यानी कुल 42 विधान सभा सीटों पर कब्जा रहा। लेकिन कुछ तालमेल के अभाव में 2019 के विधान सभा चुनाव में भाजपा और आजसू पार्टी अलग-अलग उतरी तो दोनो दलों को नुकसान उठाना पड़ा।

भाजपा 37 से घट कर 25 और आजसू 5 से घट कर 3 पर सिमट गई। इस बार भाजपा गत चुनाव से सबक ले कर कुरमी-महतो मतों की खातिर आजसू और जदयू के साथ चुनावी समर में उतरने का फैसला किया है। जनता दल यू का विशेष प्रभाव उन विधान सभा सीटों पर है जिसकी सीमा रेखा बिहार से जुड़ी हुई है। अब आने वाले चुनाव में एक बार फिर जदयू और आजसू पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लडना कितना लाभकारी होता है यह तो आगामी विधानसभा चुनाव के परिणाम से ही पता चलेगा।

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