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Jharkhand : शीघ्र न्याय नहीं मिलेगा तो न्याय व्यवस्था पर लोगों की आस्था नहीं रहेगी: न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़

रांची (झारखंड), 24 मई । सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन का उद्घाटन हुआ। यह आधुनिक राज्य और राष्ट्र का प्रतीक हो सकता है। न्याय के भवनों का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि शीघ्र न्याय नहीं मिलेगा तो न्याय व्यवस्था पर लोगों की आस्था नहीं रहेगी। जिला और सत्र न्यायालयों को सक्षम बनाना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का कर्तव्य है।

चीफ जस्टिस बुधवार को रांची के धुर्वा स्थित तिरिल मौजा में 72 एकड़ में नवनिर्मित झारखंड हाई कोर्ट के भवन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिला न्यायालय की गरिमा नागरिकों की गरिमा से जुड़ी है। न्याय प्रणाली का लक्ष्य सामान्य नागरिक को न्याय दिलाना है। मुकदमों की जानकारी मिले, समय पर सुनवाई हो, कागजात सही समय पर मिले। कैंटीन की व्यवस्था सही हो, महिलाओं के लिए शौचालय हो।

चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें अपने आप से कठोर सवाल पूछना होगा कि न्याय मिलने में उलझन रहने से न्याय कैसे मिलेगा। तकनीक के माध्यम से न्याय सभी लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में अंग्रेजी में काम होता था, अब हिंदी और अन्य भाषाओं का भी उपयोग किया जा रहा है। छह हजार से ज्यादा निर्णयों के अनुवाद हिंदी में हो चुके हैं। ई-कोर्ट फेज तीन में सात हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था न्याय प्रणाली को आधुनिक प्रणाली में तब्दील करने में के लिए की गयी है।

उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली और सामाजिक न्याय में सद्भावना बनाये रखना राष्ट्र का लक्ष्य है। समय पर सुनवाई हो। फैसले का दस्तावेज शीघ्र मिलें। इसमें सुधार लाने की आवश्यकता है। आज भी आदिवासी और पिछड़ी जनजातियों की पास जमीन के दस्तावेजों का अभाव है, इसका ध्यान रखना होगा। अदालत की करवाई का लाइव प्रसारण हर घर में ले जाना महत्वपूर्ण प्रकल्प है।

मातृशक्ति की पराकाष्ठा हैं राष्ट्रपति : न्यायमूर्ति संजय मिश्रा

झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि आज झारखंड के लिए बहुत गर्व का विषय है कि झारखंड हाई कोर्ट के नये भवन का उद्घाटन हो रहा है। कम समय में इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बहुत-बहुत धन्यवाद। झारखंड हाई कोर्ट के उद्घाटन के मौके पर राष्ट्रपति का आना एक गर्व की बात है। राष्ट्रपति मातृशक्ति की पराकाष्ठा हैं।

उन्होंने कहा कि इस भवन का जब शिलान्यास हुआ था उस समय आप झारखंड की राज्यपाल थीं। छह वर्षों के झारखंड के राज्यपाल के कार्यकाल में आपने कई बार इस नये भवन को लेकर समय-समय पर जानकारी ली। एक सामान्य परिवार से निकल कर देश की सर्वोच्च पद पर आसीन होने के लिए आपको बधाई।

जस्टिस डिलीवरी में ई-कोर्ट क्रांति साबित होगा : कानून मंत्री

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि जस्टिस डिलीवरी में ई-कोर्ट क्रांति साबित होगा। उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट्स के पहले फेज में हमने इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया। सेकेंड फेज में नागरिकों को सुविधा बढ़ाने पर जोर दिया। तीसरे फेज में जस्टिस डिलीवरी में क्रांति साबित होगा। मेघवाल ने कहा कि ऐसे कैदी जो गरीब हैं और जुर्माना नहीं भरने के कारण सजा काटने के बाद भी जेल में बंद हैं, उनको आर्थिक और कानूनी मदद दी जायेगी। इसका प्रावधान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में प्रावधान कर दिया है।

उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी नागरिकों और कोर्ट की सुविधा बढ़ाने में मददगार बना। न्याय विकास 2.0 वेब पोर्टल बना। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हियरिंग शुरू हुई। कोविड के समय संसार में रिकॉर्ड हियरिंग भारत में हुई है। ये टेक्नोलॉजिकल इंटरवेंशन की वजह से संभव हो पाया है। हम इंडस्ट्री 4.0 के युग में जी रहे हैं। इसमें एआई एक मजबूत टूल के रूप में उभरा है। मुझे ऐसा लगता है कि बेंच और बार दोनों के लिए यह उपयोगी साबित होगा। वादी-प्रतिवादी दोनों के लिए लाभकारी साबित होगा।

मेघवाल ने कहा कि जब राष्ट्र को संविधान सौंपा गया था तब बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि हम सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की स्थापना करने जा रहे हैं। मंत्री ने कहा कि 2047 में जब आजादी का शताब्दी वर्ष मनायेंगे तब एक विकसित भारत को देखेंगे। न्याय को और सरल बनाना है। स्थानीय भाषा का उपयोग न्यायिक व्यवस्था में करना है। सबों को न्याय मिले इसपर काम हो रहा है। अगले 25 वर्षों में स्थानीय भाषा में एक्सेस टू जस्टिस पर काम करेंगे। भारत सरकार न्यायपालिका की जरूरतों को पूरी करने के लिए कटिबद्ध और प्रतिबद्ध है।

हिन्दुस्थान समाचार

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