Jharkhand : झारखंड कृषि विभाग की टीम ने केरल में कृषि और मत्स्य से जुड़ी तकनीकी के संबंध में ली जानकारी

रांची, 21 मई । राज्य के कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख के नेतृत्व में केरल भ्रमण पर गई टीम लगातार झारखंड में कृषि की नई तकनीक को लागू करने के लिए अलग-अलग कृषि संस्थानों का भ्रमण कर रही है। इसी क्रम में विभागीय मंत्री, सचिव और अन्य अधिकारियों ने रविवार को केंद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान कोच्चि (केरल) का दौरा किया। वहां कृषि, मत्स्य से जुड़ी तकनीकी एवं शैक्षणिक व्यवस्थाओं के संबंध में जानकारी हासिल की।

मौके पर बादल पत्रलेख ने कहा कि केरल राज्य में कृषि , पशुपालन एवं मत्स्य के क्षेत्र में कई स्तर पर कार्य किए हैं। इसमें तकनीकी समावेश एक महत्वपूर्ण अंग है। हमारा प्रयास है कि केरल राज्य की उत्कृष्ट कृषि नीति एवं तकनीक को झारखंड में लागू किया जाए। मंत्री ने संस्थान के निदेशक के साथ झारखंड के मात्स्यिकी संसाधनों एवं उसके अनुसार राज्य के जरूरतों के बारे में विस्तृत से बताया । वहां के वैज्ञानिकों को राज्य में अवस्थित जलाशयों, परित्यक्त खदानों से मत्स्य पालन से संबंधित तकनीक उपलब्ध कराने के बारे में भी चर्चा हुई।

इस दौरान मंत्री ने कहा कि अपनी टीम को राज्य में भेजकर जलकर का विस्तृत सर्वे एवं जानकारी एकत्र करते हुए राज्य के आवश्यकता अनुसार नाव एवं जाल का डिजाइन करें। इससे मत्स्य शिकारमही एवं मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों को अधिक से अधिक फायदा हो सकेगा। झारखंड राज्य में वृहत रूप से हो रहे केज कल्चर के लिए विशेषकर केज के बाहर ट्रैप लगाने से भी मत्स्य पालकों की आमदनी में वृद्धि हो रही है।

बादल ने कहा कि संस्थान द्वारा नए डिजाइन किए गए सोलर पावर से संचालित मोटर बोट भी राज्य हित में, मत्स्य शिकार एवं मत्स्य पर्यटन में, मील का पत्थर साबित हो सकता है। साथ ही संस्थान के द्वारा डिजाइन किए गए अलमुनियम बोट एवं रबर बोट भी जलाशयों में हो रहे शिकारमही के लिए उपयोगी साबित होंगे। राज्य में केजों में हो रहे पंगेशियस एवं मोनोसेक्स तिलपिया के मार्केटिंग स्ट्रेटजी पर भी विस्तृत चर्चा की गई।

मंत्री ने बताया कि कैसे केजों में उत्पादित मछलियों का वैल्यू एडिशन करके मत्स्य उत्पादकों को अधिक से अधिक फायदा पहुंचाया जा सकता है। इस संबंध में संस्थान द्वारा डेवलप वैल्यू एडेड प्रोडक्ट को झारखंड के लोगों के टेस्ट के अनुसार डेवलप करने के लिए आमंत्रित किया गया।

रांची धुर्वा में स्थित हाइजेनिक फिश मार्केट के लिए हाइजेनिक कंडीशन में मछलियों के बिक्री एवं मछलियों के वेस्ट प्रोडक्ट को सही रूप में निष्पादित करने के लिए मंत्री के द्वारा तकनीक उपलब्ध कराने पर भी चर्चा की गई। मछलियों के स्केल (चोईटा) निकालने के लिए उपकरण की उपयोगिता एवं वेस्ट प्रोडक्ट को फिश मिल के रूप में भी इस्तेमाल करने की तकनीक को लेकर बात हुई।

राज्य में संचालित झास्कोफिश को सुदृढ़ करने के विषय में मंत्री ने संस्थान के निदेशक को झास्कोफिश को सेल्फ डिपेंडेंट बनाने हेतु वर्क प्लान बनाने का अनुरोध किया, जिस पर निदेशक द्वारा बताया गया कि बहुत जल्द एक टीम भेजकर इसका अध्ययन करा लिया जाएगा एवं उसके उपरांत इस दिशा में कार्यवाही से मंत्री को अवगत करा दिया जाएगा।

कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीख ने बताया कि राज्य के किसानों को कम खर्च में ज्यादा मुनाफा हो, इसके लिए सीआईएफटी का सहयोग तकनीक के क्षेत्र में लिया जाएगा। हम सीड, मत्स्य उत्पादन में काफी आगे हैं लेकिन तकनीक का समावेश अगर इस क्षेत्र में होगा तो उसके किसानों के हित में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे और उन्हें आर्थिक स्वावलंबी बनाने की राहें आसान होंगी।

इस दौरान पर कृषि निदेशक चंदन कुमार, उपनिदेशक गव्य डॉ मनोज तिवारी, मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार भी मौजूद थे।

हिन्दुस्थान समाचार

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