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Jharkhand : छात्र संगठनों का झारखंड बंद दस को, सालखन मुर्मू ने बंद वापस लिया

रांची, 09 अप्रैल । राज्य में नियोजन नीति वाली नियोजन नीति 60/40 को लेकर सोमवार को बुलाए गए बंद को लेकर दो गुटों में मतभेद हो गया है। एक गुट ने बंद बुलाया है तो दूसरे ने बंद वापस ले लिया है।

झारखंड में प्रखंडवार नियोजन नीति लागू करने की मांग के समर्थन में आदिवासी संगठनों ने सोमवार को झारखंड बंद का आह्वान किया था लेकिन इस बंद को वापस ले लिया गया है। यह जानकारी रविवार को आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रमुख एवं पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने दी। उन्होंने कहा कि 11 अप्रैल से सरना धर्म कोड और मरांग बुरु बचाओ समेत कई मांगों के समर्थन में पांच राज्यों में अनिश्चितकालीन चक्का जाम का फैसला किया गया था। उसे भी फिलहाल स्थगित किया जाता है।

सालखन ने बताया कि प्रखंडवार नियोजन नीति को लागू करने और कराने की मांग के समर्थन में आदिवासी सेंगेल ने 10 अप्रैल 2023 को झारखंड बंद का आह्वान किया था। फिलहाल इस बंद को वापस लिया जाता है। उन्होंने कहा कि बंद तो वापस लिया जा रहा है, लेकिन प्रखंडवार नियोजन नीति लागू करने के समर्थन में सेंगेल का आंदोलन लगातार जारी रहेगा। इसके तहत हर प्रखंड में विरोध प्रदर्शन किया जायेगा। सेंगेल और आदिवासी संगठनों के समर्थक धरना-प्रदर्शन भी करेंगे।

इधर, रांची यूथ एसोसिएशन के छात्रों ने सोमवार को होने वाली संपूर्ण झारखंड बंद से पहले रविवार शाम को रांची विश्वविद्यालय से अल्बर्ट एक्का चौक तक मशाल जुलूस निकाला । इसमें मंत्री स्व. जगरनाथ महतो को याद करते हुए झारखंड बंद की तैयारी और रणनीति को स्पष्ट किया गया। वहीं दूसरी ओर झारखंड यूथ एसोसिएशन के छात्र नेता सफी इमाम ने कहा कि झारखंड यूथ एशोसिएशन, झारखंड उलगुलान मार्च, पंचपरगना फाइटर, आदिवासी छात्र संघ, आयमा और अन्य आदिवासी-मूलवासी ने 10 अप्रैल को संपूर्ण झारखंड बंद बुलाई है, जिसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। छात्र नेताओं ने बताया कि कुछ छात्र नेता सरकार से मिलकर आंदोलन को टालने का षड्यंत्र कर रहे हैं, जिससे सावधान रहने की जरूरत है।

उल्लेखनीय है कि आदिवासी सेंगेल अभियान लगातार मांग कर रहा है कि सरना धर्म कोड को लागू किया जाए। साथ ही पारसनाथ की पहाड़ी को बचाने का भी आदिवासी संगठन अभियान चला रहे हैं। पारसनाथ पहाड़, जिसे आदिवासी मरांग बुरु कहते हैं, उसे आदिवासियों के सुपुर्द करने की मांग की जा रही है। पारसनाथ आदिवासियों के साथ-साथ जैन धर्मावलंबियों की भी आस्था का केंद्र है। पिछले दिनों इस पहाड़ को लेकर दोनों पक्षों के बीच तनातनी की नौबत आ गयी थी। बहरहाल, सेंगेल की इस घोषणा से सरकारों को बड़ी राहत मिली होगी।

हिन्दुस्थान समाचार

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