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जेएनएआरडीडीसी ने हैदराबाद में गैर-लौह पुनर्चक्रण हितधारकों के साथ विशेष संवादात्मक बैठक की मेजबानी की

नई दिल्ली, 02 जून । देश के पुनर्चक्रण प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए जवाहरलाल नेहरू एल्युमीनियम अनुसंधान विकास एवं डिजाइन केंद्र (जेएनएआरडीडीसी) के पुनर्चक्रण संवर्धन प्रभाग ने हैदराबाद में अलौह पुनर्चक्रण हितधारकों और व्यापारियों के साथ एक केंद्रित संवादात्मक बैठक की।

खान मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक बयान में बताया कि इस कार्यशाला में तेलंगाना एल्युमीनियम यूटेंसिल्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (टीएयूएमए), एल्युमीनियम एक्सट्रूडर एंड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएलईएमएआई) और मैटेरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमआरएआई) सहित प्रमुख उद्योग निकायों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई। जेएनएआरडीडीसी ने घरेलू जरूरतों के लिए तैयार एल्युमीनियम रिसाइक्लिंग प्रौद्योगिकियों और मिश्र धातु विकास में अपने हालिया शोध का प्रदर्शन किया गया।

इस ओपन सत्र में रीसाइकिलर्स को अपनी तकनीकी, प्रशासनिक और विनियामक चुनौतियों पर खुलकर चर्चा करने का मंच प्रदान किया गया। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के एक प्रतिनिधि ने भी उपस्थित लोगों को इस क्षेत्र को प्रभावित करने वाले प्रासंगिक गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (क्यूसीओ) के बारे में जानकारी दी। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी के मार्गदर्शन में इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण से भारत के धातु रीसाइक्लिंग उद्योग की दीर्घकालिक मजबूती, स्थिरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित होने की उम्मीद है।

इस कार्यशाला का उद्देश्य पुनर्चक्रण से जुड़ी जमीनी चुनौतियों को समझने और पुनर्चक्रण क्षेत्र को आधुनिक तथा सशक्त बनाने में व्यावहारिक सहायता प्रदान करने के लिए पुनर्चक्रण करने वालों, व्यापारियों, सेवा प्रदाताओं सहित अलौह रीसाइक्लिंग हितधारकों के साथ सीधे जुड़ना था। इस सत्र का एक मुख्य आकर्षण पुनर्चक्रण उद्योग की परिवर्तनकारी क्षमता थी, जो प्राथमिक अयस्क क्रम उत्पादन के लिए आवश्यक ऊर्जा का केवल एक अंश ही खपत करता है। यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और भारत के जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

मंत्रालय के मुताबिक यह बैठक भारत को टिकाऊ संसाधन उपयोग में विश्व स्तर पर अग्रणी के रूप में स्थापित करने के लिए खान मंत्रालय की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब है। ऐसी पहलों के माध्यम से, सभी हितधारकों को कार्बन तटस्थता, आत्मनिर्भर भारत और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण हितधारकों के रूप में सशक्त बनाया जा रहा है।

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