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राज्यसभा में खड़गे ने कहा, पुस्तकों से हटाई गई संविधान की प्रस्तावना

नई दिल्ली। विपक्ष ने बुधवार को राज्यसभा में एनसीईआरटी की कुछ पुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना हटाए जाने का मुद्दा उठाया। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह मुद्दा सदन के सामने रखा।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों में से संविधान की प्रस्तावना को हटाया गया है। पाठ्य पुस्तकों में संविधान की प्रस्तावना छपा करती थी। यह प्रस्तावना हमारे संविधान की आत्मा है। यह हमारे संविधान और लोकतंत्र के फाउंडेशन प्रिंसिपल जैसे न्याय, स्वतंत्रता और समानता आदि के मूल्यों को दर्शाता है।

उन्होंने आरोप लगाया कि अब कई पाठ्य पुस्तकों से इस प्रस्तावना को हटाया गया है। इस दौरान सदन में सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों ओर से हंगामा होता रहा। हालांकि, जेपी नड्डा ने खड़गे के इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मां भारती की सेवा में लगी है। संविधान की प्रस्तावना की रक्षा की गई है और इसकी रक्षा की जाएगी, मैं इस बात का विश्वास दिलाना चाहता हूं।

इससे पहले मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में कहा कि मैं यह बताना चाहता हूं कि 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में कहा गया था कि हमें अपने राजनीतिक लोकतंत्र को एक सामाजिक लोकतंत्र भी बनाना चाहिए। आप सभी इस बात से सहमत होंगे कि हर नागरिक को और खास तौर पर हमारी भावी पीढ़ी को स्वतंत्रता सेनानियों, संविधान निर्माताओं, लोकतंत्र, संविधान और उसके मूल सिद्धांतों व मूल्य की जानकारी होनी चाहिए।

हमारे महान नायक महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. अंबेडकर, सरदार पटेल, मौलाना आजाद और अन्य लोगों ने आजादी के आंदोलन में इन मूल्यों के लिए कितनी कुर्बानी दी है, आप जानते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी विचारधारा को लोगों पर थोपने के लिए पुस्तकों में बदलाव किए जा रहे हैं। मैं इस विषय में सरकार से मांग करता हूं कि पाठ्यक्रमों में हुए बदलाव पर एक विस्तृत जानकारी सदन के सामने रखें। इस मुद्दे पर सरकार स्पष्टीकरण दे और संविधान के दायरे में अपना कदम वापस ले।

उन्होंने आगे कहा कि सिलेबस में जो बदलाव किए हैं वह अच्छे नहीं हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि एक खास विचारधारा को लोगों पर थोपने के लिए यह बदलाव किए जा रहे हैं।

कांग्रेस का कहना है कि इस वर्ष जारी की गई एनसीईआरटी की कुछ पाठ्यपुस्तकों में संविधान की प्रस्तावना नहीं है। इसके बाद से एनसीईआरटी पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उसने स्कूलों की कई पाठ्य पुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटा दिया है।

मल्लिकार्जुन खड़गे की बातों का जवाब देते हुए राज्यसभा में नेता सदन व केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि विपक्ष के नेता ने जो विषय उठाया उसमें से एक ध्वनि प्रतिद्वंदिता करने की कोशिश की गई कि शायद संविधान की प्रस्तावना और संविधान की मूल धाराओं से कुछ छेड़छाड़ होने की बात है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता की बुद्धिमत्ता और उनकी नियत पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा हुआ है। मैंने एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक नहीं देखी हैं, लेकिन मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार ने जितना संविधान को इज्जत देकर आगे बढ़ाना तय किया है उतना किसी सरकार ने नहीं किया।

नड्डा ने कहा, संविधान की प्रस्तावना के साथ छेड़छाड़ करने का सवाल ही नहीं उठता। साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आई सरकार ने संविधान दिवस मनाया। संविधान पर 25 जून 1975 को डाका डाला गया था। उन्होंने कहा कि 90 से अधिक बार चुनी हुई सरकारों को गिराने का काम किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आपकी सरकार ने दो बार प्रतिबंध लगाने की कोशिश की। लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अधिक मजबूत होकर सामने आया।

–आईएएनएस

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