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साहित्य मानवता को सशक्त बनाने के साथ साथ समाज को नवजीवन देता है: मुर्मु

नयी दिल्ली 23 नवंबर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि साहित्य मानवता को सशक्त बनाता है और समाज को बेहतर बनाने के साथ साथ उसे नवजीवन देता है।

श्रीमती मुर्मु ने शनिवार को यहां एक साहित्य कार्यक्रम में हिस्सा लिया और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले लेखकों को सम्मान प्रदान किये।

राष्ट्रपति ने गुलज़ार साहब को ‘आज तक साहित्य जागृति लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ मिलने पर विशेष रूप से बधाई दी। उन्होंने साहित्य और कला की दुनिया के प्रति उनके समर्पण के लिए उनकी सराहना की।

उन्होंने कहा कि इन पुरस्कार विजेताओं के पुरस्कार विजेता कार्य अतीत से वर्तमान तक भारत की विविधता को दर्शाते हैं और लेखकों की कई पीढ़ियों को एक साथ पेश करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश की क्षेत्रीय साहित्य कृतियों में अखिल भारतीय चेतना सदैव विद्यमान रही है। यह चेतना हमारी संपूर्ण यात्रा में, रामायण और महाभारत काल से लेकर हमारे स्वतंत्रता संग्राम तक, दिखाई देती रही है और आज के साहित्य में भी देखी जा सकती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि जो लेखक जनता के सुख-दुख से जुड़े रहते हैं, उनका काम पाठकों को पसंद आता है, जबकि समाज उन लेखकों को अस्वीकार कर देता है जो समाज के अनुभवों को कच्चा माल मानते हैं। ऐसे लेखकों का काम एक छोटे साहित्यिक प्रतिष्ठान तक ही सीमित रहता है। उन्होंने कहा कि जहाँ बौद्धिक आडंबर और पूर्वाग्रह है, वहाँ साहित्य नहीं है। जनता के दुख-दर्द को साझा करना साहित्य की पहली शर्त है। दूसरे शब्दों में साहित्य को मानवता के प्रवाह से जुड़ना चाहिए।

श्रीमती मुर्मु ने कहा कि साहित्य मानवता को सशक्त बनाता है और समाज को बेहतर बनाता है। साहित्य मानवता के शाश्वत मूल्यों को बदलती परिस्थितियों के अनुरूप ढालता है। साहित्य समाज को नवजीवन देता है। कई संतों और कवियों ने महात्मा गांधी के विचारों को प्रभावित किया। साहित्य के ऐसे प्रभाव का सम्मान किया जाना चाहिए।

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